वर्चस्व की लड़ाई में एक बाघिन की मौत।

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वीटीआर के रघिया वन क्षेत्र में एक सात साल की बाघिन का शव मिला है।

जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर। वाल्मीकि टाइगर रिजर्वमें लगातार बढ़ती बाघों की संख्या के बीच एक दुखद खबर आई है। बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में दो बाघिन के आपसी संघर्ष में एक बाघिन की मौत हो गई है।घटना रविवार की है। पेट्रोलिंग के दौरान वनकर्मियों ने रघिया वन क्षेत्र के कक्ष संख्या आर 58में बाघिन के शव को देखा।
बताया जा रहा है कि दो बाघिन की आपसी लड़ाई में एक बाघिन की मौत हुई है।बाघिन के बिसरा को जांच के लिए आईवीआरआई बरेली एवं भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून भेजा गया है। और उसका पोस्टमार्टम कराकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है।इस बाबत सीएफ डॉ नेशामणि ने बताया कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है।इस बीच टेरिटरी को लेकर बाघों के बीच आपसी संघर्ष होते रहते हैं ।जब एक बाघ अपना टेरिटरी छोड़ दूसरे बाघ के टेरिटरी में घुसता है तो इनके बीच आपसी संघर्ष होता है। इसमें जो बाघ बलवान होता है उसकी जीत होती है। बाघिन के सभी महत्वपूर्ण अंग सुरक्षित पाए गए हैं ।इसलिए शिकार का अनुमान नहीं लग रहा है। हालांकि, बाघिन के अगले पैर एवं जबड़े में चोट के निशान मिले हैं। चोट के निशान से स्पष्ट संकेत मिलता है कि बाघिन की मौत आपसी संघर्ष में हुई होगी।

बाघों की संख्या 60 के पार

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जंगल में वर्ष 2010 में महज 8 बाघ थे लेकिन 15 वर्षों में इनकी संख्या बढ़कर 60 के पार हो गई है।इस वजह से बढ़ी बाघों की संख्या

बेहतर संरक्षण और अधिवास प्रबंधन कि वजह से बाघों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है। बाघों के भोजन प्रबंधन के लिए शाकाहारी जीवों की संख्या बढ़ाने के लिए सैकड़ों एकड़ में ग्रासलैंड प्रबंधन किया गया है। ग्रासलैंड और शाकाहारी जीवों की संख्या बढ़ने से बाघों का आहार बढ़ा है और उनकी संख्या में इजाफा हुआ है।

बाघों के मौत का सिलसिला

2013 में मदनपुर में एक बाघ की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। 2014 में वर्चस्व की लड़ाई में एक बाघ की जान चली गई। इसी साल हरनाटांड़ के नौरंगिया में एक और बाघ का शव मिला था।

2016 में शिकारियों ने गौनौली रेंज में जहर देकर चार बाघों का शिकार किया था। 2019 में रघिया व मंगुरहा में दो बाघों की मौत हो गई। 2021 में गोबर्धना में एक तथा वाल्मीकिनगर रेंज में दो बाघों की मौत हो गई थी। 13 अक्टूबर, 2021 को बेतिया के मैनाटांड़ के चक्रसन गांव के पास आपसी लड़ाई में एक बाघ की मौत हो गई थी।

2022 में वाल्मीकिनगर के कौलेश्वर मंदिर के पास एक मादा शावक का शव मिला था। 10 फरवरी, 2023 में वन प्रमंडल-दो में वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र के रमपुरवा गांव के पास बगीचे के बगल में बाघ का शव मिला। इस बाघ को खेत में दफन कर दिया गया था। बाघ के शव से कुछ दूरी पर एक तेंदुए का शव मिला था। दोनों को करंट से मारा गया था। 2024 के मार्च में मंगुरहा रेंज में एक, जुलाई में मानपुर जंगल में ढाई साल के बाघ की मौत हो गई। 22 मई 2025 को गर्दी दोनों क्षेत्र में एक बाघिन की मौत हुई। अगस्त में भी आपसी संघर्ष में एक बाघ की मौत हो गई थी।

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