रुक-रुक हो रही बारिश के कारण गंडक नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी।

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गंडक का जलस्तर एक लाख क्यूसेक के करीब पहुंचा, गंडक बराज के पास दिखने लगा नेपाल में हो रही वर्षा का असर।

जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर। मानसून की दस्तक के साथ ही गंडक नदी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी जारी है। नेपाल में हो रही बारिश के कारण गंडक नदी का जलस्तर एक लाख क्यूसेक तक पहुंच गया है। गंडक नदी के जलस्तर पर नेपाल की बारिश का सीधा प्रभाव पड़ता है। दरअसल, नेपाल में रुक-रुक हो रही बारिश के कारण गंडक नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर जलसंसाधन विभाग के द्वारा कई दावे किये जा रहे हैं। गंडक नदी के तटवर्ती गांव चकदहवा निवासी गुलाब अंसारी, पप्पू कुमार,रामसमुझ पंडित, उमेश कुमार इन दिनों गंडक नदी की ओर देखते हैं तो डर के मारे सिहर उठते हैं। गंडक नदी में इस साल भी पानी बढ़ रहा है। गंडक नदी के कहर से बचने के लिए इनके पास विस्थापन के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। बाढ़ आने पर वह अपने बीबी-बच्चों के साथ चार माह बांध पर गुजारा करेंगे। इनकी तरह ही चकदहवा में रहने वाले सैकड़ों लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखने लगी हैं। ग्रामीण बताते हैं कि पानी अगर इसी रफ्तार से बढ़‌ता रहा तो आने वाले दिनों में उनके घरों में पानी घुस जाएगा। पानी बढ़ने की जो रफ्तार है उसे देखकर लगता है कि इस साल भी बाढ़ हमारा घर उजाड़ देगी। एक-एक पल गुजरने के साथ बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। जैसे ही नदी का पानी बढ़ता है, तो सबसे पहले इसी गांव को प्रभावित करता है। हर वर्ष यह गांव काफी दिनों तक पानी से भरा रहता है। कई दिनों तक लोगों का घर से निकलना दुभर हो जाता है। फसलों को भी क्षति होती है। ग्रामीणों के भोजन पर आफत हो जाता है। परेशानी तो तब होती है जब पानी में बहकर सांप एवं अन्य कीड़े मकोड़े लोगों के घरों में घुस जाते है। इस दौरान सर्पदंश की घटनाएं भी बढ़ जाती है। यही कारण है कि नदी में पानी बढ़ने के साथ ही उक्त गांव के लोगों को चिंता सताने लगी है।बहरहाल जलस्तर में वृद्धि के बावजूद सरकार के द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है। अलबत्ता, जल संसाधन विभाग की तरफ से यह आश्वासन जरूर मिल रहा है कि अभियंता बाढ़ से निबटने को पूरी तरह तैयार है।पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नेपाल के तात्कालिक शासक राजा महेन्द्र विक्रम शाह से 1959 में समझौता किया था। समझौते के तहत पश्चिमी मुख्य गंडक नहर और वाल्मीकिनगर बराज का निर्माण नेपाल के भूक्षेत्र से होना था। इस जमीन के बदले गंडक नदी के दाएं तट पर नेपाल सीमा तक के भूभाग को बाढ़ और कटाव से बचाने की जिम्मेदारी भारत के समझौते में समावेशित है। चार मई 1964 को गंडक बराज का शिलान्यास भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू एवं नेपाल के राजा महेन्द्र वीर विक्रम शाह देव के द्वारा किया गया था।

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