गंडक का जलस्तर 70 हजार क्यूसेक के पार, गंडक नदी में दिखने लगा नेपाल में हो रही वर्षा का असर।

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जिला ब्यूरो विवेक कुमार सिंह

बेतिया/वाल्मीकिनगर। मानसून की दस्तक के साथ ही गंडक नदी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी जारी है। नेपाल में हो रही बारिश के कारण गंडक नदी का जलस्तर 70 हजार क्यूसेक तक बढ़ गया है। सामान्यतः गंडक नदी में जून माह के अंत में जलस्तर में बढ़ोत्तरी दर्ज की जाती है। फिलहाल गंडक नदी का जलस्तर 70 हजार क्यूसेक के आस पास बना हुआ है। गंडक के इस अप्रत्याशित जलस्राव की परस्पर निगरानी की जा रही है। दरअसल, नेपाल में रुक-रुक हो रही बारिश के कारण गंडक नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। मानसून प्रारंभ होने से पूर्व ही गंडक के जलस्तर में बढ़ोतरी शुरू हो चुकी है। चकदहवा निवासी गुलाब अंसारी, पप्पू कुमार,रामसमुझ पंडित, उमेश कुमार इन दिनों गंडक नदी की ओर देखते हैं तो डर के मारे सिहर उठते हैं। गंडक नदी में इस साल भी पानी बढ़ रहा है। गंडक नदी के कहर से बचने के लिए इनके पास विस्थापन के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। बाढ़ आने पर वह अपने बीबी-बच्चों के साथ चार माह बांध पर गुजारा करेंगे। इनकी तरह ही चकदहवा में रहने वाले सैकड़ों लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखने लगी हैं। ग्रामीण बताते हैं कि पानी अगर इसी रफ्तार से बढ़‌ता रहा तो आने वाले दिनों में घरों में पानी घुस जाएगा। पानी बढ़ने की जो रफ्तार है उसे देखकर लगता है कि इस साल भी बाढ़ हमारा घर उजाड़ देगी। एक-एक पल गुजरने के साथ बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। बहरहाल जलस्तर में वृद्धि के बावजूद सरकार के द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है।

वाल्मीकि नगर बराज पर हैं 36 फाटक

वाल्मीकि नगर में नेपाल से आने वाली गंडक नदी के पानी को कंट्रोल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय गंडक बराज का निर्माण कराया गया है। इस वाल्मीकि नगर बराज में कुल 36 फाटक है। इसमें 18 फाटक नेपाली क्षेत्र में आता हैं। जबकि 18 फाटक बिहार में। इसी 36 फाटक से नेपाली पानी को सिस्टमैटिक तरीके से गंडक नदी में छोड़ा जाता है। बाढ अवधि में इसको लेकर हर घंटे एक वाटर डिस्चार्ज का एक बुलेटिन जारी किया जाता है।जब गंडक नदी में पानी का बहाव तेज होता है, तब वाल्मीकि नगर बैराज के सभी 36 फाटक को खोल दिया जाता है। साथ ही पानी के डिस्चार्ज लेबल को संबंधित जिले के अधिकारियों को भेजा जाता है कि कितने बजे वाल्मीकि नगर बराज से कितना क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।

गंडक नदी में पानी के बहाव पर रखी जाती है नजर

जल संसाधन विभाग की ओर से जारी इस बुलेटिन के बाद संबंधित जिलों के डीएम अपने इलाके में तटबंधों की निगरानी बढ़ाते हैं। इसके साथ ही गंडक नदी के निचले इलाके में बसे लोगों को समय से पूर्व तटबंधों पर आने को लेकर अलर्ट कर दिया जाता है। कंट्रोल रूम की ओर से सभी 36 फाटक को कंप्यूटराइज तरीके से कंट्रोल किया जाता है। यह कंप्यूटर सिस्टम फाटक को पानी के अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम के लेवल को मेंटेन करते हुए ऑटोमेटिक कंट्रोल किया जाता है। इससे गंडक नदी में पानी के बहाव को समय- समय पर कंट्रोल करने के साथ-साथ उसपर नजर रखी जाती है।

गंडक बराज को ऑपरेट करने के लिए तीन सिस्टम लगे हैं पहला स्काडा सिस्टम दूसरा इलेक्ट्रिक पैनल और तीसरा मैनुअल। गंडक बराज की डिजाइनिंग डिस्चार्ज क्षमता साढ़े आठ लाख क्यूसेक है।

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