



कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण समूह के सदस्यों ने वीटीआर की प्राकृतिक सुंदरता एवं हरियाली पर किया गहन विश्लेषण
जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह
बेतिया/वाल्मीकिनगर। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का जंगल भारत के उन पर्यटक स्थलों में से एक है जहां प्रतिदिन कुछ ना कुछ नया देखने को मिलता है। पिछले सप्ताह पंजाब के लुधियाना शहर से पहुंचे अश्वेंद्र सेठी ने वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का भ्रमण कर डॉक्युमेंट्री तैयार करने के लिए जल, जंगल, पहाड़ के साथ-साथ वन्य जीवों के बारे में जानकारियां हासिल की। वहीं दूसरी ओर गुरुवार को मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण समूह के सदस्य वाल्मीकिनगर पहुंच, यहां के हरियाली के बाबत गहन विश्लेषण किया। इस समूह का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर राजेश कुमार यादव ने बताया कि हमारा यह ग्रुप कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण समूह से जुड़ा हुआ है। हमारा मुख्य काम ग्रीन क्षेत्र के बारे में रिसर्च करना है। वाल्मीकिनगर की प्राकृतिक सुंदरता जंगल एवं पहाड़ से जुड़ा है। हमारा ग्रुप यहां आकर सुहाने मौसम में भ्रमण कर खूब लुत्फ उठाया है। साथ ही जंगल के पेड़ के पत्तों की हरियाली के बाबत गहनता से अध्ययन किया है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा पेड़ पौधे सूरज की प्रकाश से जो शक्ति ग्रहण करते हैं, उनकी तीव्रता क्या है इस पर हमलोग रिसर्च करेंगे। इस अध्ययन से विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को काफी मदद मिलेगी।
वाल्मीकिनगर की सुंदरता को और निखारने की जरूरत
मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से भ्रमण पर आए 15 सदस्यीय टीम के सदस्यों ने वाल्मीकिनगर में और विकास की संभावनाओं को उजागर करते हुए कहा कि यहां अभी और कुछ करने की जरूरत है। विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर अरुण कुमार दुबे ने कहा कि सबसे पहले गंडक बैराज से लेकर कालेश्वर मंदिर तक लाइटिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ हीं किसी अप्रिय दुर्घटना से बचने के लिए गंडक नदी के किनारे लोहे का रेलिंग लगाना बहुत जरूरी है। उसके बाद कुछ जगहों पर सामुदायिक शौचालय का होना अति आवश्यक है।
200 से ज्यादा पर्यटकों ने किया जंगल सफारी
गुरुवार को जंगल सफारी करने के लिए जंगल कैंप में भारी संख्या में पर्यटकों की उपस्थिति देखी गई। इन पर्यटकों का जंगल सफारी के लिए मन मचल रहा था। सुबह 6:00 से लेकर 11:00 तक लगभग 200 से ज्यादा पर्यटकों ने जंगल सफारी कर प्राकृतिक सुंदरता का लुत्फ उठाया। पर्यटकों में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 15 सदस्यीय टीम भी शामिल थी।










