जीवन में ईश्वर की उपासना अनिवार्य है :- पं-भरत उपाध्याय

0
211



Spread the love

“आज प्रत्येक व्यक्ति धन के पीछे बेतहाशा भाग रहा है। क्योंकि वह सोचता है कि मैं अपनी सारी समस्याएं धन से सुलझा लूंगा। सब वस्तुएं धन से खरीद लूंगा। इसलिए उसे धन के अलावा कुछ नहीं सूझता। जबकि यह सत्य नहीं है।” “ऐसी बहुत सी समस्याएं हैं, जो धन से नहीं सुलझाई जा सकती। उदाहरण के लिए — जो मानसिक समस्याएं हैं, जैसे काम क्रोध लोभ ईर्ष्या अभिमान अविद्या राग द्वेष मृत्यु का भय इत्यादि। इनका कोई समाधान भौतिक धन से नहीं किया जा सकता। बाजार में कोई ऐसी औषधि नहीं मिलती, जिसका सेवन करने से ये मानसिक समस्याएं हल हो जाएं।” “धन का अपना मूल्य है। वह भी कमाएं। उसका मैं निषेध नहीं कर रहा। परंतु पूरा समय पूरी शक्ति केवल धन प्राप्ति में लगा दें, यह ठीक नहीं है।” “यदि आप इन मानसिक समस्याओं का हल चाहते हैं, तो उसके लिए कुछ आपको आध्यात्मिक कार्य भी करने होंगे। जैसे वेदोक्त निराकार सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान न्यायकारी आनन्द स्वरूप ईश्वर की उपासना करना वैदिक शास्त्रों का अध्ययन करना ऋषियों के ग्रंथ पढ़ना अपने घर में दैनिक वैदिक यज्ञ करना माता-पिता की सेवा करना गौ आदि प्राणियों की रक्षा करना शुद्ध शाकाहारी सात्विक भोजन खाना वैदिक परोपकार के कार्यों में यथाशक्ति दान देना इत्यादि।” “यदि आप इस प्रकार के कर्म करेंगे, तो ही इन मानसिक समस्याओं का हल होगा, अन्यथा नहीं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here