भाई-बहन के अटूट स्नेह का लोक पर्व पीड़िया सम्पन्न, बहनों ने गंडक नदी के जलाशय में बहाया पीड़िया।

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24 घंटे निर्जला व्रत कर बहनों ने भाई की लंबी उम्र और कुशलता की कामना कर नाच -गान के साथ मनाया उत्सव

जिला व्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर:- आदिवासी बहुल क्षेत्र में मनाए जाने वाले एक महीने तक का पीड़िया उत्सव शनिवार की सुबह धूमधाम से संपन्न हो गया। यह पर्व छठ के बाद से शुरू होता है, जिसमें बहनों द्वारा मिट्टी के कई प्रारूपों में भाइयों की तस्वीर बनाकर प्रतिदिन दीप जला पूजा अर्चना करती है। बहनें भाई की लंबी उम्र और कुशलता की कामना के लिए इस पीड़िया पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाती हैं। शनिवार की सुबह आदिवासी बहुल क्षेत्र के लगभग 500 की संख्या में बहनों एवं भाइयों ने नारायणी के कालीघाट पहुंच पीड़िया को नारायणी की कल-कल धारा में प्रवाहित कर भाई-बहन के अटूट प्रेम व स्नेह को अजर – अमर करने की कामना की। इस दौरान डीजे की थाप पर बहनों एवं भाइयों ने मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति कर ब्रह्म बेला में उगते हुए सूर्य को भी मुस्कुराने का अवसर दे दिया था। शुक्रवार के पूरे दिन बहनों ने इसके लिए निर्जला उपवास रखा और शनिवार की सुबह पीड़िया को जल धारा में प्रवाह कर अन्न- जल ग्रहण किया।

पर्व के पहले दिन से पीड़िया के पास जमीन पर सोती है बहनें

पीड़िया पर्व को लेकर कई किवदंतियां है। थारू बहुल क्षेत्र से पीड़िया को बहाने के लिए आई बहनों में आकृति कुमारी, सोनम कुमारी, सुधा थारू एवं अंजलि थारू ने बताया कि, इस पर्व में हम लोग पहले दिन से ही पीड़िया के पास पूजा अर्चना कर जमीन पर सोते हैं। यह त्याग और तपस्या भाइयों के खुशहाल जीवन और लंबी उम्र के लिए होती है। लगभग 1 महीने तक हम लोग बिना लहसुन और प्याज का सब्जी ग्रहण कर ब्रह्मचारिणी रूप धारण कर अपने व्रत को संपन्न करते हैं। इसको अच्छे से करने के लिए हम लोगों के द्वारा कई प्रकार की आयोजन किए जाते हैं। 1 माह तक प्रतिदिन रात में नृत्य संगीत का कार्यक्रम होता है।

घड़े में रख दीप प्रज्वलित कर बहाया जाता है पीड़िया

पीड़िया पर्व को समापन करने का तरीका भी विचित्र होता है। बहने मिट्टी के बने पीड़िया को घड़े में रखकर दीप प्रज्वलित करती है। उसके बाद नदी के तेज धार में उसे इस प्रकार बहाया जाता है, ताकि वह डूबने ना पाए। जिसका पीड़िया डूब जाता है, उसे भाई को दंड देना पड़ता है। उसके बाद नदी घाट पर विधि विधान से पूजा पाठ कर नृत्य संगीत के साथ बहनें अपने घर के लिए रवाना हो जाती है।

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