वीटीआर प्रशासन द्वारा गिद्धों का सर्वे प्रारंभ।

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जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में प्राकृतिक सफाईकर्मी कहे जाने वाले गिद्ध एक बार फिर वीटीआर के आसमान में ऊंची उड़ान भरते दिखाई देंगे। दरअसल वीटीआर प्रशासन द्वारा गिद्धों का सर्वे शुरू कर दिया गया है। जो गिद्धों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए मील का पत्थर साबित होगा। विलुप्ति के कगार पर जा पहुंचे गिद्धों की प्रजाति के लिए इस सरहनीय पहल की शुरुआत वन प्रशासन द्वारा की गई है। वीटीआर में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां गिद्धों की उपस्थिति दर्ज की जा रही है। इसके लिए वन विभाग में कार्यरत कर्मियों द्वारा वन क्षेत्र से सटे गांव के लोगों से भी जानकारी जुटा जा रही है। ग्रामीणों द्वारा जानकारी देने के बाद वन प्रशासन ग्रामीणों से उनके रखरखाव एवं संरक्षण के बाबत भी विचार विमर्श कर रहा है। जिसकी रिपोर्ट विभाग के वरीय पदाधिकारी को सौंपी जाएगी।

प्राकृतिक सफाईकर्मी हैं गिद्ध

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में रहने वाले गिद्ध अन्य वन्य जीवों के लिए सफाई कर्मी का काम करते हैं। रेंजर अमित कुमार ने बताया कि गिद्ध प्राकृतिक सफाईकर्मी होते हैं, जो सड़े गले मांस को खाते हैं। ये जहां मौजूद होते हैं, वहां के पारिस्थितिकी तंत्र को स्वच्छ व स्वस्थ करते हैं। परंतु बीते कुछ दशकों में गिद्धों की संख्या काफी हद तक कम हुई है, इसके प्रमुख कारणों में से एक डाइक्लोफेनेक दवा उपचारित बीमार मवेशियों का मरना है।जब गिद्ध उसके मांस को खाते हैं, तो यह दवा गिद्ध के गुर्दों को खराब कर देती है, जिससे कुछ हीं दिनों में गिद्ध की मृत्यु हो जाती है। बताते चलें कि वीटीआर में सात प्रजाति के गिद्ध देखे गए हैं। जिनमें पांच स्थानीय प्रजातियां और दो बाहरी प्रजातियां है। ठंड के सीजन में यूरेशियन और दूसरी प्रजातियों के गिद्ध भी आ जाते हैं। गिद्धों की संख्या बढ़ने के पीछे प्रबंधन का मानना है कि वीटीआर में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ-साथ गिद्धों की संख्या भी बढ़ रही है। दरअसल बाघ के शिकार के बाद जो अवशेष बचता है, वो गिद्ध भोजन के रूप में उपयोग करता है। बाघों की संख्या 60 पार पहुंचने से बाघ द्वारा किए जाने वाले शिकार की संख्या बढ़ी है और गिद्धों को आसानी से भोजन मिल रहा है। इसलिए गिद्ध वीटीआर में स्थायी घोसला भी बना रहे हैं।

संरक्षण प्रयासों का नतीजा

हालांकि, वीटीआर के आसपास गिद्धों की इस वापसी को संरक्षण प्रयासों का सकारात्मक परिणाम माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह संकेत है कि इस क्षेत्र में गिद्धों के लिए उपयुक्त आवास और खाद्य श्रृंखला मौजूद हैं।

वीटीआर और इसके आसपास के क्षेत्र में वनों की सुरक्षा, जैव विविधता संरक्षण, और गिद्धों के आवास की पुनर्स्थापना के लिए कई कदम उठाए गए हैं। स्थानीय प्रशासन और पर्यावरणविदों ने गिद्धों के निवास स्थानों को सुरक्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए हैं। यही कारण है कि इनकी संख्या में इजाफा हुआ है।जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण है। गिद्धों की उपस्थित दर्शाती है कि इस क्षेत्र का पारिस्थितिकी तंत्र स्वस्थ और संतुलित है। वीटीआर और इसके आसपास की जैव विविधता की समृद्धि को दर्शाती है, जो पर्यावरणीय स्थिरता और जैव विविधता के लिए आवश्यक है। गिद्ध न केवल मृत पशुओं को समाप्त करके पारिस्थितिकी तंत्र को साफ रखने में मदद करते हैं, इसके साथ ही बीमारियों के प्रसार को भी रोकते हैं।

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