




जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह
बेतिया/वाल्मीकिनगर। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व 30 जून से 30 सितंबर तक पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है। इस बार रिकॉर्ड 57,954 सैलानी पहुंचे, जिनमें 38 विदेशी शामिल थे।
वीटीआर के जंगलों से फिलहाल बाघों की दहाड़ सुनाई नहीं देगी। अब वाल्मीकि टाइगर रिजर्व तीन महीने के लिए सैलानियों के लिए बंद हो गया है। गंडक बराज के जलाशय एवं वीटीआर की खूबसूरती और बाघों का दीदार करने हर साल हजारों पर्यटक वीटीआर पहुंचते हैं।
इस बार रिकॉर्ड बना गए सैलानी
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व इस बार अपने इतिहास के सबसे शानदार पर्यटन सीजन का गवाह बना। यह संख्या पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है।वीटीआर के जंगलों से फिलहाल बाघों की दहाड़ सुनाई नहीं देगी। अब वाल्मीकि टाइगर रिजर्व तीन महीने के लिए सैलानियों के लिए बंद हो गया है।
30 जून की शाम से टाइगर रिजर्व का यह पर्यटन सत्र खत्म हो गया। अब अगले तीन महीने तक यानी 30 सितंबर तक पर्यटक टाइगर सफारी का लुत्फ नहीं उठा पाएंगे। लेकिन अच्छी बात यह है कि इस बार का पर्यटन सत्र रिकॉर्ड तोड़ रहा।
तीन महीने का लगा ब्रेक
अगर आप इस बार टाइगर सफारी करने से चूक गए हैं या प्लान नहीं बना पाए, तो निराश होने की जरूरत नहीं है। रिजर्व में कुछ ऐसे पर्यटन स्थल भी हैं जहां बिना बुकिंग के आप घूम सकते हैं। गंडक बराज , इको पार्क, झूला पुल, पाथवे वाइफरकेशन जैसे स्पॉट अब भी आपके इंतजार में हैं।
मॉनसून वन्यजीवों का प्रजनन काल
मॉनसून वन्य जीवों के लिए प्रजनन का काल होता है। इस दौरान वीटीआर के वन पथ खराब हो जाते है। प्रजनन काल में वन्यजीवों का स्वभाव हिंसक हो जाता है। ऐसे में जंगल के अंदर भ्रमण करना किसी जोखिम से कम नहीं होता है। साथ ही जंगली जीवों को इस काल में अधिक समय तक प्रकृति के साथ रहने का अवसर भी मिलता है।ऐसे में वो अपने क्षेत्र में किसी भी प्रकार की बाहरी दखल अंदाजी पसंद नहीं करते हैं। इतना ही नहीं, बरसात के दिनों में हरे–हरे पेड़ों से भरे जंगल में बिजली गिरने तथा तेज हवाओं की वजह से पेड़ पौधों के गिरने का डर निरंतर बना रहता है। ऐसे में जंगल सफारी करना किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं रह जाता है। अतः हर वर्ष मॉनसून की अवधि में जंगल सफारी को एक निश्चित समय के लिए बंद कर दिया जाता है। ठीक इसी प्रकार बरसात में गंडक नदी का जल स्तर बढ़ने से उसमें बोटिंग करना बेहद खतरनाक हो जाता है। इसलिए मॉनसून अवधि में इसपर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इस बाबत क्षेत्र निदेशक नेशामणी के ने बताया कि मानसून की वजह से बारिश शुरू हो गई है।इसके कारण जंगल सफारी और साइकिल सफारी का रूट खराब हो जाता है। साथ ही नेपाल के पहाड़ी इलाकों में अधिक बारिश की वजह से गंडक नदी का जलस्तर बढ़ जाता है।जो बोटिंग के लिए खतरनाक साबित हो होता है। लिहाजा जंगल सफारी एवं गंडक नदी में बोट सफारी पर भी रोक लगा दी गई है।