वन विभाग एवं डब्ल्यूटीआई के सौजन्य से वन्यजीव कानून एवं सीआईटीईएस पर न्यायिक कार्यशाला का आयोजन।

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जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर:- वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया एवं बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सक्रिय सहयोग से बिहार के पश्चिम चंपारण जिले तथा वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) के मुख्यालय बेतिया में वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 तथा CITES के समावेशन, परिवर्तनों का प्रभाव एवं परिप्रेक्ष्य विषय पर एक न्यायिक क्षमता-वर्धन कार्यशाला का आयोजन किया।
यह कार्यशाला वन्यजीव अपराधों की रोकथाम और न्यायिक प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने हेतु डब्ल्यूटीआई के सतत प्रयासों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य दोषसिद्धि दर में वृद्धि, जमानत अस्वीकृति को सुदृढ़ करना तथा वन्यजीव अपराध मामलों में प्रतिपूरक एवं पुनर्स्थापन-आधारित निर्णयों को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम भारत–नेपाल सीमा के साथ वन्यजीव अपराध रोकथाम एवं कानून-प्रवर्तन उपायों को सुदृढ़ करना परियोजना के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश विभाग के ब्यूरो ऑफ इंटरनेशनल नारकोटिक्स एंड लॉ एनफोर्समेंट अफेयर्स ( आईएनएल) द्वारा अनुदान प्रदान किया गया है।


प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत पावेल घोष, वरिष्ठ क्षेत्र अधिकारी, वन्यजीव अपराध नियंत्रण प्रभाग, डब्ल्यू टीआई द्वारा की गई, जिन्होंने संस्था के कार्यों का परिचय दिया तथा कार्यक्रम के उद्देश्यों को रेखांकित किया। उन्होंने भारत एवं वैश्विक स्तर पर वन्यजीव अपराध परिदृश्य का अवलोकन प्रस्तुत किया, जिसमें प्लम-हेडेड पैराकीट, सी-फैन, कछुए तथा नेवले के बाल सहित प्रमुख एवं कम-ज्ञात प्रजातियों के अवैध व्यापार पर प्रकाश डाला गया। सत्र में वन्यजीव शिकार से जुड़ी सांस्कृतिक मान्यताओं, साइबर-सक्षम वन्यजीव अपराधों तथा कोविड-19 के बाद अवैध पालतू पशु व्यापार के बढ़ते खतरे पर भी चर्चा की गई। प्रतिभागियों को सीआईटीईएस की भूमिका से अवगत कराया गया तथा सामान्यतः व्यापार की जाने वाली प्रजातियों एवं उनके अवशेषों की पहचान का प्रशिक्षण दिया गया।
अधिवक्ता यश कुमार सोनी ने वन्यजीव संरक्षण से जुड़े विधिक ढांचे पर विस्तृत सत्र लिया, जिसमें दोषसिद्धि को संरक्षण के एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में रेखांकित किया गया। उन्होंने वन्यजीव अपराध के विभिन्न चरणों, वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 के प्रावधानों तथा प्रमुख विधिक परिभाषाओं पर प्रकाश डाला। इस सत्र में केस प्रलेखन, अपराध रिपोर्टिंग, जांच में सामान्य कमियों तथा विस्तृत केस डायरी बनाए रखने के महत्व पर भी चर्चा की गई। साथ ही, विशेष रूप से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के संदर्भ में क्षतिपूर्ति प्रक्रियाओं पर मार्गदर्शन प्रदान किया गया।


कार्यशाला में कुल 35 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें वन विभाग, सशस्त्र सीमा बल तथा न्यायिक तंत्र के अधिकारी शामिल थे। प्रतिभागियों में बेतिया वन प्रमंडल के प्रभागीय वन अधिकारी, तीन रेंज वन अधिकारी, नौ वनपाल, 44वीं बटालियन SSB के कमांडेंट, 65वीं बटालियन SSB के उप-कमांडेंट, तथा 21वीं, 44वीं एवं 65वीं बटालियनों के SSB कर्मी शामिल थे। इसके अतिरिक्त, बेतिया एवं बगहा न्यायालयों के सरकारी लोक अभियोजक एवं विशेष लोक अभियोजक (वन) भी कार्यशाला में सम्मिलित हुए। पंकज कुमार,बीएफएस प्रभागीय वन अधिकारी, बेतिया वन प्रमंडल ने कार्यक्रम के आयोजन हेतु डब्ल्यूटीआई के प्रयासों की सराहना की तथा वर्तमान संरक्षण एवं प्रवर्तन आवश्यकताओं की दृष्टि से इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया। बलवंत सिंह नेगी, कमांडेंट, 44वीं बटालियन, SSB ने भारत–नेपाल सीमा क्षेत्र में वन्यजीव अपराधों की रोकथाम में SSB की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया तथा संवेदनशील, सीमा-पार परिदृश्य में अवैध वन्यजीव व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए अंतर-एजेंसी समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया।
यह कार्यशाला भारत–नेपाल सीमा क्षेत्र में वन्यजीव अपराधों की रोकथाम हेतु संस्थागत क्षमता एवं अंतर-एजेंसी समन्वय को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा। विधिक ढांचे, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों तथा साक्ष्य-आधारित अभियोजन की समझ को सुदृढ़ कर यह कार्यक्रम अधिक प्रभावी जांच, सशक्त अभियोजन तथा संरक्षण-उन्मुख न्यायिक परिणामों में महत्वपूर्ण योगदान देने की अपेक्षा रखता है। वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने वन्यजीव अपराधों से निपटने तथा जैव विविधता के संरक्षण हेतु सशक्त, सहयोगात्मक तंत्र विकसित करने में बिहार वन विभाग को निरंतर सहयोग देने की अपनी प्रतिबद्धता को पुनः दोहराया।कार्यक्रम का संचालन पावेल घोष, वरिष्ठ फील्ड अधिकारी (वन्यजीव अपराध नियंत्रण डिवीजन), डब्ल्यूटीआई तथा सुनील कुमार, फील्ड असिस्टेंट, द्वारा किया गया।

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