




हे ईश्वर! तू!सर्वशक्तिमान है! जब इंसान! कुछ भी करने के लिए, अपने तन, मन, धन से असहाय हो जाता है, तब आप की परम कृपा शुरू हो जाती है! एक व्यक्ति गाड़ी से उतरा, और बड़ी तेज़ी से एयरपोर्ट में घुसा, जहाज़ उड़ने के लिए तैयार था, उसे किसी कार्यकर्म मे पहुंचना था, जो खास उसी के लिए आयोजित किया जा रहा था। वह अपनी सीट पर बैठा, और जहाज़ उड़ गया। अभी कुछ दूर ही जहाज़ उड़ा था, कि कैप्टन ने घोषणा की, तूफानी बारिश और बिजली की वजह से, जहाज़ का रेडियो सिस्टम, ठीक से काम नहीं कर रहा है, इसलिए हम पास के एयरपोर्ट पर, उतरने के लिए विवस हैं। जहाज़ उतरा, वह बाहर निकल कर, कैप्टन से शिकायत करने लगा, कि उसका एक-एक मिनट क़ीमती है, और होने वाले कार्यक्रम में, उसका पहुँचना बहुत ज़रूरी है। पास खड़े दूसरे यात्री ने उसे पहचान लिया, और बोला डॉक्टर पटनायक! आप जहां पहुंचना चाहते हैं, टैक्सी द्वारा यहां से केवल तीन घंटे मे पहुंच सकते हैं, उसने धन्यवाद किया, और टैक्सी लेकर निकल पड़ा। लेकिन ये क्या? आंधी, तूफान, बिजली, बारिश ने गाड़ी का चलना, मुश्किल कर दिया! फिर भी ड्राइवर चलता रहा। अचानक ड्राइवर को आभास हुआ, कि वह रास्ता भटक चुका है। ना उम्मीदी के इस उतार चढ़ाव के बीच, उसे एक छोटा सा घर दिखा, इस तूफान में यही ग़नीमत समझ कर, गाड़ी से नीचे उतरा, और दरवाज़ा खटखटाया। आवाज़ आई, जो कोई भी है! अंदर आ जाएं, दरवाज़ा खुला है। अंदर एक बुढ़िया आसन बिछाए, भगवद् गीता पढ़ रही थी, उसने कहा! मां जी अगर आज्ञा हो, तो आपका फोन का उपयोग कर लूं।*बुढ़िया मुस्कुराई, और बोली बेटा! कौन सा फोन? यहां ना बिजली है, ना फोन।लेकिन तुम बैठो, सामने चरणामृत है, पी लो थकान दूर हो जायेगी, और खाने के लिए भी कुछ ना कुछ फल मिल जायेगा, खा लो! ताकि आगे यात्रा के लिए कुछ शक्ति आ जाये।डाक्टर ने धन्यवाद किया, और चरणामृत पीने लगा। बुढ़िया अपने पाठ मे खोई थी, कि उसके पास उसकी नज़र पड़ी, एक बच्चा कंबल मे लपेटा पड़ा था! जिसे बुढ़िया थोड़ी थोड़ी देर मे, हिला देती थी। बुढ़िया की पूजापूरी हुई, तो उसने कहा मां जी! आपके स्वभाव और व्यवहार ने, मुझ पर जादू कर दिया है! आप मेरे लिए भी प्रार्थना कर दीजिए! यह मौसम साफ हो जाये, मुझे उम्मीद है, आपकी प्रार्थनायें अवश्य स्वीकार होती होंगी। बुढ़िया बोली, नही बेटा! ऐसी कोई बात नही। तुम मेरे अतिथी हो, और अतिथी की सेवा, ईश्वर का आदेश है। मैने तुम्हारे लिए भी प्रार्थना की है, परमात्मा की कृपा है, उसने मेरी हर प्रार्थना सुनी है। बस एक प्रार्थना, और मै प्रभु से माँग रही हूँ, शायद जब वह चाहेगा, उसे भी स्वीकार कर लेगा। कौन सी प्रार्थना?*डाक्टर बोला! बुढ़िया बोली ये जो 2 साल का बच्चा, तुम्हारे सामने अधमरा पड़ा है, मेरा पोता है, ना इसकी मां ज़िंदा है! ना ही बाप! इस बुढ़ापे में इसकी ज़िम्मेदारी मुझ पर है, डाक्टर कहते हैं, इसे कोई खतरनाक रोग है! जिसका वो उपचार नहीं कर सकते, कहते हैं की एक ही नामवर डाक्टर है, क्या नाम बताया था उसका? हां, डॉ. पटनायक वह इसका ऑपरेशन कर सकता है, लेकिन मैं बुढ़िया कहां उस डॉ तक पहुंच सकती हूं? लेकर जाऊं भी तो पता नही, वह देखने पर राज़ी भी हो या नही? बस अब बंसीवाले से, ये ही माँग रही थी! कि वह मेरी मुश्किल आसान कर दे। डाक्टर की आंखों से, आंसुओं की धारा बह रहा है! वह भर्राई हुई आवाज़ मे बोला! माई! आपकी प्रार्थना ने, हवाई जहाज़ को नीचे उतार लिया, आसमान पर बिजलियां कौधवा दीं, मुझे रास्ता भुलवा दिया, ताकि मैं यहां तक खींचा चला आऊं, हे भगवान! मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा, कि एक प्रार्थना स्वीकार करके, अपने भक्तों के लिए, इस तरह भी सहायता कर सकता है! दोस्तों, वे सर्वशक्तिमान हैं, परमात्मा के भक्तों! प्रभु से लौ लगाकर, तो देखो! जहां जाकर प्राणी असहाय हो जाता है, वहां से इसकी परम कृपा शुरू होती है। हे परमेश्वर! कोई आवेदन नहीं किया था ,किसी की सिफारिश नहीं थी, फिर भी यह स्वस्थ शरीर प्राप्त हुआ। सिर से लेकर पैर के अंगूठे तक हर क्षण रक्त प्रवाह हो रहा है–जीभ पर नियमित लार का अभिषेक कर रहा है- न जाने कौन सा यंत्र लगाया है कि निरंतर हृदय धड़कता है– पूरे शरीर, हर अंग में बिना रुके संदेशवाहन करने वाली प्रणाली कैसे चल रही है कुछ समझ नहीं आता। हड्डियों और मांस में बहने वाला रक्त कौन सा अद्वितीय आर्किटेक्चर है इसका किसी को अंदाजा भी नहीं है।हजार- हजार मेगापिक्सल वाले दो-दो कैमरे के रूप में आंखें संसार के दृश्य कैद कर रही हैं । दस-दस हजार टेस्ट करने वाली जीभ नाम की टेस्टर कितने प्रकार के स्वाद का परीक्षण कर रही है। सैकड़ो संवेदनाओं का अनुभव कराने वाली त्वचा नाम की सेंसर प्रणाली का विज्ञान जाना ही नहीं जा सकता। अलग-अलग फ्रीक्वेंसी की आवाज पैदा करने वाली स्वर प्रणाली शरीर में कंठ के रूप में है। उन फ्रीक्वेंसी का कोडिंग- डिकोडिंग करने वाले कान नाम का यंत्र इस शरीर की विशेषता है। 75% पानी से भरा शरीर लाखों रोमकूप होने के बावजूद कहीं भी लीक नहीं होता। बिना किसी सहारे मैं सीधा खड़ा रह सकता हूं! गाड़ी के टायर चलने पर घिसते हैं ,पर पैर की तलवे जीवन भर चलने के बाद आज तक नहीं घिसे। अद्भुत ऐसी रचना है! हे भगवान! तू इसका संचालक है तू ही, निर्माता। स्मृति ,शक्ति ,शांति यह सब भगवान तू देता है।तू ही अंदर बैठकर शरीर चला रहा है। अद्भुत है यह सब अविश्वसनीय! ऐसे शरीर रूपी मशीन में हमेशा तू ही है, इसका अनुभव करने वाला आत्मा भगवान तू है !यह तेरा खेल मात्र है। मैं तेरे खेल का निश्चल, निस्वार्थ आनंद का हिस्सा रहूं! ऐसी सद्बुद्धि मुझे दे! तू ही यह सब संभालता है इसका अनुभव मुझे हमेशा रहे! रोज पल- पल कृतज्ञता से तेरा ऋणी होने का स्मरण, चिंतन हो, यही परमेश्वर के चरणों में प्रार्थना है।