जिसने भगवान के प्रति आत्मसमर्पण कर दिया है,वह भगवान के कार्य का आधार बन जाता है। उसके द्वारा फिर जो कुछ भी क्रिया होती है,सब भगवान की ही होती है;उसका अपना अपने लिये पृथक कुछ रहता ही नहीं। यह प्रेममय उच्च भाव प्रभु में अत्यन्त प्रेम होने से बनता है। इसके लिये मनुष्य को *नित्य सेवा* का आधार बनाना पड़ता है। सेवा के निमित्त जब हम प्रभु के सन्मुख बार – बार होंगे ; प्रभु की असीम कृपा की वर्षा तभी हम पर होगी। समर्पण का मंगलमय भाव हमारे जीवन में अनायास बिना प्रयत्न के उतरने लगेगा। मनुष्य जीवन का कल्याण इसी में निहित है। मुस्कुराना सिर्फ खुशी का प्रतिबिंब नहीं है, यह कृतज्ञता और उम्मीद के बारे में भी है। चुनौती पूर्ण समय के दौरान, हम अक्सर हर चीज से दूर हो जाते हैं। चाहे वह दोस्तों से मिलना हो या ऐसी गतिविधियां करना जो हमें पसंद हों। यह दूर होना हमारे चेहरे पर दुख और निरसता के रूप में दिखाई देता है। हर बार जब हम खुद को देखते हैं, तो हम और भी ज्यादा निराश और उदास महसूस कर सकते हैं। हालांकि यह मुश्किल लग सकता है, फिर भी आप अपने जीवन में जो काम कर रहे हैं उस पर ध्यान केंद्रित करके सबसे कठिन क्षणों में भी मुस्कुरा सकते हैं। सहायक लोगों के साथ समय बिताएं ,ऐसी गतिविधियों में शामिल हों जो आपको खुशी देती हों ,और जीवन की प्रक्रिया में भरोसा बनाए रखें कि भले ही यह कठिन हो, लेकिन यह जल्द ही खत्म हो जाएगा। खुद से प्यार करो जीवन की हर गतिविधि का आनंद लो, तो जीवन सुंदर होगा।