




21 नवंबर 2024 गुरुवार को सूर्योदय से 3:35 तक गुरु पुष्य अमृत योग है !108 मोती की माला लेकर जो गुरु मंत्र का जाप करता है श्रद्धापूर्वक तो 27 नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र। पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु बृहस्पति। पुष्य नक्षत्र समृद्धि एवं सम्पत्ति बढ़ाने वाला है। इस दिन बृहस्पति का पूजन करना चाहिए बृहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ऊं ऐं क्लीं बृहस्पतए नमः मंत्र बोलें।
बरगद के पत्ते पर गुरु पुष्य या रवि पुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें। शिवपुराण में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट से अनिष्टकर दोष भी समाप्त हो जाते हैं। सर्वसिद्धिकर: पुष्य;! इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है। इस योग में किया गया जप, ध्यान,दान पुण्य फलदाई होता है परन्तु पुष्य में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं।(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिता, अध्याय 10)