




जिला ब्यूरो/ विवेक कुमार सिंह,
बेतिया/वाल्मीकिनगर:- बारिश के मौसम में जंगल के अंदर घुसपैठ, वन अपराध और शिकार की घटनाएं रोकने के लिए पेट्रोलिंग की गई। इस बाबत रेंजर अमित कुमार ने बताया कि पिछले वर्षों की अपेक्षा इस बार ज्यादा स्मार्ट और आधुनिक तकनीक से पेट्रोल की जा रही है। वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए वन विभाग के द्वारा ऑपरेशन मानसून चलाया जा रहा है। इसके लिए वनों एवं नदी में गश्त की जा रही है। ऑपरेशन मानसून के दौरान वन एवं वन्यजीव तस्करों का खतरा बढ़ जाता है। नेपाल एवं उत्तर प्रदेश से सटे क्षेत्रों पर खास निगाह रखी जा रही है। बरसाती नदियों में भी गश्त की जा रही है। उपलब्ध समस्त संसाधनों का प्रयोग गश्त में किया जा रहा है।वाल्मीकिनगर रेंजर अमित कुमार के नेतृत्व में मानसून गश्त के दौरान जंगल में अवैध घुसपैठ, वन अपराध और शिकार जैसी घटनाओं को रोकने के लिए मोटर बोट से पेट्रोलिंग की गई। पेट्रोलिंग का उद्देश्य वन और वन्यजीवों की सुरक्षा करना है, क्योंकि मानसून के समय वन तस्करों का खतरा बढ़ जाता है।
वन्यजीवों की सुरक्षा
मानसून के दौरान वन्यजीवों का शिकार करने वाले तस्करों का खतरा बढ़ जाता है।पेट्रोलिंग करके विभाग वन्यजीवों को इनसे बचाता है।
अवैध घुसपैठ पर नज़र
वनों में अवैध घुसपैठ, खासकर मानसून के समय, रोकने के लिए यह गश्त की जाती है।
बाघों की सुरक्षा एक चुनौती
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग के सामने खास चुनौती रहती है। बाघों की सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरती जा रही है।मानसून सीजन में जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा टाइगर रिजर्व के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होती है, क्योंकि इस दौर में प्राय: शिकारियों की घुसपैठ बढऩे लगती है। जंगल के अंदर कच्चे रास्तों पर बारिश का पानी भरने से गश्त करने वाले कर्मियों के लिए जंगल के चप्पे-चप्पे की निगरानी रखने में मुश्किलें आती हैं। इसलिए गश्त में हाथी का इस्तेमाल किया जाता है। वन संपदा एवं वन्यजीवों की सुरक्षा तथा संरक्षण के लिहाज से बरसात के मौसम में वन कर्मियों की गश्त में मुश्किलें आने लगती हैं। बरसात के दिनों में जंगल के अंदर पानी भरने से रास्ते दलदल हो जाते हैं। ऐसे में वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए वाहनों के माध्यम से जंगल में गश्त करने में दिक्कतें आने लगती हैं।