




वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में हाथी द्रौणा ने महावत पर हमला कर दिया। चीख सुनकर अन्य महावतों ने किसी तरह उसकी जान बचाई
जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,
बेतिया/वाल्मीकिनगर:– वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पालतू हाथी द्रौणा ने महावत पर जानलेवा हमला कर दिया। घटना वाल्मीकि नगर रेंज क्षेत्र की है। हाथी को गश्त पर ले जाया जा रहा था, तभी उसने महावत पर हमला कर दिया। जिसके बाद महावत की चीख सुनकर अन्य महावत मौके पर पहुंचे और किसी तरह हाथी से उसकी जान बचाई। घायल महावत को अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वाल्मीकिनगर ले जाया गया।
बताते चलें कि महावत जुमम्न मियां दौर्णा हाथी को गश्त के लिए ले जाने वाला था।इसके लिए हाथी को तैयार किया जा रहा था। इस बीच गुस्साए हाथी ने महावत पर जानलेवा हमला कर दिया। जिससे महावत के हाथ में गंभीर चोटें आई हैं।महावत ने बताया कि वे कई साल से हाथी की देखभाल कर रहे हैं लेकिन कभी किसी हाथी ने इस तरह से जानलेवा हमला नहीं किया। हाथी द्रोणा मेरी देखरेख में गश्त के लिए जाता रहा है, लेकिन घटना वाले दिन जैसे ही जंगल ले जाने के लिए उसे तैयार रहा था, उसी समय हाथी ने हमला कर दिया। हाथी के हमले में घायल हुए महावत को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उसका इलाज चल रहा है। घायल महावत का हाथ में फ्रैक्चर हुआ है। महावत की हालत खतरे से बाहर बताई गई है। बेहद प्रतिकूल और कठिन परिस्थतियों में जंगल की रखवाली व वन्य प्राणियों की सुरक्षा का कार्य चुनौतियों से भरा होता है जिसका मुकाबला मैदानी वनकर्मी करते हैं।जब हाथी मदमस्त हो जाता है। तो वह पहला हमला अपने महावत पर करता है। हाथी का कुछ दिनों या महीने का सीजन होता है। जुलाई से दिसंबर माह के बीच का समय जंगली नर हाथियों के मस्त होने का समय होता है। इस समय नर हाथी को वंश बढ़ाने के लिए मादा की जरूरत होती है। युवा हाथी एक माह से तीन महीने तक मस्त रहते हैं।इस बाबत न्यूज़ संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक ने बताया कि मदमस्त हाथी इन हाथियों का व्यवहार अप्रत्याशित होता है। ये चिड़चिड़े और गुस्सैल होते हैं। मस्त नर हाथी का विशेष लक्षण इनके पिछले पैर का गीला होना है। इनके व्यवहार के बारे में कुछ भी अनुमान लगा पाना मुश्किल होता है। जब कोई आसपास दिखता है तो ये हमला कर सकते हैं। ये बार-बार पेशाब करते रहते हैं।मदमस्तता के दौरान, नर हाथियों में सामान्य से दस गुना ज़्यादा टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है। उनकी टेम्पोरल ग्रंथियाँ अंगूर के आकार तक फूल जाती हैं और मूत्र की लगभग निरंतर धार के कारण वे दिखाई देने लगती हैं जो उनके पीछे एक गंध का निशान छोड़ती है।नर हाथियों में ऋतुकाल(मेटिंग सीजन) में आंख और कान के बीच से एक द्रव निकलता है जिसे मद कहते हैं। ऐसी अवस्था में हाथी उग्र हो जाते हैं।