




वृंदावन, बगहा अनुमंडल अंतर्गत मधुबनी प्रखंड स्थित राजकीय कृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज मधुबनी के पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने वृंदावन से विदा होते हुए कहा कि यहां के पुजारी गण का आतिथ्य श्रेष्ठ है। उनके संस्कार युक्त सेवा को मैं आजीवन स्मरण रखुंगा। मैं इनकी दिनचर्या से अभिभूत हूं। इनकी तपस्या अविस्मरणीय है। उन्होंने आगे कहा कि – एक बार गौर से देखें कि एक आचार्य बनने हेतु 9 साल की आयु से ही कितनी तपस्या करनी होती है, प्रातः 4 बजे से नींद का त्याग करना, भीषण ठंड में ठंडे जल से 4 बजे स्नान करके व्याकरणादि शास्त्रों का स्वाध्याय करना, कठिन दिनचर्या, नियमित एवं नियंत्रित जीवन शैली, अच्छे अच्छे पकवान से दूर रहना, कोई पिकनिक नही, कोई सिनेमा-फ़िल्म आदि नही। माता पिता,,भाई बहन, सगे संबन्धियों के प्रेम-वात्सल्य से वंचित होकर रहना। घर परिवार, सगे संबंधियों के विवाह आदि उत्सव से दूर, सामाजिक महोत्सवों से दूर… और क्या क्या बताएं। जिन्हें ऐसा लगता है कि आचार्य फ्री का खाते हैं, वो एक बार अपने 9 साल के बच्चे को दो चार दिन के लिए किसी संस्कृत पाठशाला आश्रम में छोड़ कर देखें. जीवन का वास्तविक साक्षत्कार हो जायेगा। आप किसी ब्राह्मण के एक मंत्र का मूल्य कभी नहीं दे सकते, यह वास्तविक सत्य है क्योंकि उसके पीछे कितना परिश्रम, त्याग, अभ्यास आदि करना पड़ा है वह सब आपकी कल्पनाओं से बहुत दूर का विषय है।ब्राह्मण से हाथ मत मिलाना, उसके पैर छूना हमारी यही संस्कृति है। इस अवसर पर पं० संजय मिश्रा, श्रीमती विमला देवी, पं० संजीत कुमार त्रिपाठी, पं० कुणाल पुजारी, वीरेंद्र ऊर्फ छोटे, अनन्या मिश्रा, अंजनी मिश्रा तथा दिनेश कुमार गुप्ता सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे।