गंडक बराज के रास्ते प्रतिदिन दो सौ मजदूर धान रोपनी के लिए जा रहे नेपाल

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बिहार से दुगुनी मजदूरी और मुफ्त शराब भारतीय मजदूरों के पलायन का है मुख्य कारण, मजदूरों को अपने साथ ले जाने के लिए नेपाली किसानों द्वारा लगाई जाती है बोली।

जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह

बेतिया/वाल्मीकिनगर। बिहार में काम नहीं मिलने के कारण बिहारी मजदूरों का नेपाल पलायन जारी है। यह सिलसिला प्रत्येक साल जून और जुलाई महीने में देखने को मिलता है। भारतीय सीमा के किसानों द्वारा उतनी मजदूरी धान रोपनी के लिए नहीं दी जाती है, जितना नेपाल के किसान भारतीय मजदूरों को देते हैं। इतना ही नहीं नेपाल के किसान जून से लेकर जुलाई महीने के दूसरे सप्ताह तक गंडक बराज के पास खड़े हो भारतीय मजदूर को अपने साथ ले जाने के लिए तरह-तरह लालच देते हैं। काम कराने के लिए मुंह मांगा मजदूरी के साथ-साथ मुफ्त भोजन, आवास के साथ-साथ मुफ्त मदिरा पान कराने का भी बोझ नेपाली किसान उठाने में झिझक नहीं दिखाते हैं। इसी लालच में आकर भारतीय मजदूर लगभग 2 महीने तक नेपाल में अपना बसेरा बना, 35 से 40 हजार रुपया कमाकर वापस लौटते हैं। यह मजदूर मुख्य रूप से हरनाटांड़, जिमरी नौतनवा, लक्ष्मीपुर सौराहा एवं एवं रामनगर क्षेत्र के होते हैं।

एक परिवार से तीन से चार मजदूर जाते हैं नेपाल

धान रोपनी के समय नेपाल से सटे भारतीय क्षेत्र से नेपाल जाने वाली आदिवासी मजदूरों में एक परिवार के तीन से चार सदस्य शामिल रहते हैं। आदिवासी बहुल क्षेत्र नौतनवा निवासी रघुवीर उरांव,बुधनी उरांव,लक्ष्मी कुमारी तथा रामनगर क्षेत्र के भावल निवासी राजेंद्र महतो एवं हरिमोहन महतो ने बताया कि अपने यहां के किसान रूपानी के लिए 200 से 300 रूपया देते हैं। जबकि नेपाल में एक मजदूर को नेपाली करेंसी एक हजार रूपए प्रतिदिन की कमाई होती है। इसके अतिरिक्त भोजन और आवास भी फ्री मिलता है। हम लोग का मजदूरी पूरा बच जाता है। इसी के कारण हमलोग प्रत्येक साल 2 महीने के लिए नेपाल में पलायन कर जाते हैं।

नेपाली किसान मजदूरों को देते हैं इनाम

भारतीय सीमा से नेपाल जाने वाले मजदूरों को नेपाली किसानों द्वारा आने जाने के लिए मुफ्त वाहनों के साथ-साथ धान रोपनी समापन के दिन मजदूरों को कपड़े और नगदी देकर उनका सम्मान करते हैं।नेपाल के रहने वाले वरिष्ठ किसान बल बहादुर क्षेत्री,राम मोहन आर्याल ने बताया‌ कि इससे अगले साल मजदूरों को अपने साथ ले जाने में कठिनाई नहीं होगी। जो किसान हमारे द्वारा सम्मान पाया है, वह किसी दूसरे किसान के पास नहीं जा सकता है।

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