हर दंपति को माता-पिता बनने का है अधिकार: डॉक्टर संजीदा परवीन।

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नि: संतान महिलाओं के लिए आशा की किरण है सिटी हेल्थ केयर एंड फर्टिलिटी सेंटर

जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर। मातृत्व सुख एक अद्भुत और सुखद अनुभव है, जो एक महिला के जीवन को सार्थक और पूर्ण बनाता है। मेडिकल साइंस की तरक्की से निःसंतानता अब कोई लाइलाज बीमारी नहीं रह गई है। माँ बनना किसी भी औरत के लिए जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी होती है। जब घर में नन्हे बच्चे की किलका‍रियाँ गूँजती है तो माँ का रोम-रोम खिल जाता है।मातृत्व का सुख वह सुख है जिसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता है। स्त्री को पूर्णता प्रदान करने वाला यह सुख कई नए रिश्तों को जन्म देता है चिकित्सा के क्षेत्र में महिला चिकित्सक भी बेहतरीन इलाज करके जिला मुख्यालय बेतिया में अपना परचम लहरा रही है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पतालों में दूर-दूर से आकर मरीज़ उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा का लाभ ले रहे हैं। आज हम बेतिया के एक ऐसी ही महिला चिकित्सक की चर्चा करने जा रहे हैं जो अपने निजी अस्पताल में मरीजों को बेहतरीन चिकित्सकीय सुविधाएं प्रदान कर रही हैं। कभी जो सुविधा सिर्फ महानगरों तक सीमित थी ,अब पश्चिमी चंपारण जिले के मुख्यालय बेतिया में भी उपलब्ध है। इसका श्रेय डॉक्टर संजीदा परवीन को जाता है। डॉ संजीदा महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी एक नई मिसाल कायम की हैं। निःसंतानता जिसे समाज में एक अभिशाप की संज्ञा दी जाती है। इस तकलीफ से जूझ रहे दंपतियों को आज डॉक्टर संजीदा परवीन एक नई खुशियां प्रदान कर रही हैं। आईवीएफ, आईयूआई, सरोगेसी, अंडाणु और भ्रूण दान जैसी विश्व स्तरीय फर्टिलिटी तकनीक को बेतिया जैसे जिला मुख्यालय पर उपलब्ध कराना एक बड़ा परिवर्तन है। डॉक्टर संजीदा एक महिला चिकित्सक होने के नाते महिलाओं के दुख दर्द को भली-भांति समझती हैं। इन्होंने न केवल निः संतान महिलाओं को मां बनने की राह दिखाई बल्कि कई महिलाओं को मानसिक रूप से सशक्त बनने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। इनके केंद्र पर आने वाली अधिकांश महिलाएं ग्रामीण परिवेश से आती हैं जो पहले इन समस्याओं को सामाजिक कलंक मानती थीं।पर वे अब निःसंतानता संबंधी समस्या का खुलकर इलाज करा रही हैं।और गर्व से मां बनने का अनुभव प्राप्त कर रही हैं।

सिटी हेल्थ केयर एंड फर्टिलिटी सेंटर ने यह साबित किया है कि बेहतर इलाज सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है, अब ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी उच्च स्तरीय इलाज और परामर्श बेतिया में प्राप्त कर सकते हैं। यह केंद्र एक आशा की किरण बनकर उभरा है । जहां सैकड़ो निः संतान दंपतियों ने सफल इलाज के बाद संतान का सुख पाया है। डॉक्टर संजीदा परवीन कहती हैं संतान न होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे की आनुवांशिक कारण, जीवनशैली, महिला के गर्भधारण में समस्या या फिर पुरुष के शरीर में कोई समस्या लेकिन वर्तमान समय में आईवीएफ आदि कुछ उपाय ऐसे हैं जो आपकी इस समस्या को हल कर सकते हैं। इन उपायों से आप बिना किसी खतरे के संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं। निःसंतानता एक दम्पती के लिए अभिशाप के समान है। संतान न होने से एक दम्पती न सिर्फ निजी तनाव महसूस करता है बल्कि उसके ऊपर सामाजिक व पारिवारिक दबाव भी रहते हैं। निःसंतान दम्पतियों को भारतीय समाज में हमेशा से दोयम दर्जे का समझा जाता है, बावजूद इसके कि संतान न होने में उन दम्पतियों की कोई गलती नहीं होती, फिर भी उन्हें हमेशा इसकी सजा मिलती रहती है। खासतौर से महिलाओं को इसका अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ता है। एक तरफ परिवार से तो दूसरी तरफ समाज से कई तरह की अपशब्दों से अपमानित किया जाता है। यहां तक कि रिश्ते टूटने तक भी बात आ जाती है। ऐसे स्थिति में लोगों को जागरूक कर काफी हद तक महिलाओं के उत्पीड़न से रोका जा सकता है और समाज में इन्हें भी उचित सम्मान मिल सकता है। अब बांझपन अभिशाप नहीं है बल्कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति से मातृत्व सुख पाया जा सकता है।निःसंतानता से प्रभावित ज्यादातर महिलाओं को ऐसा लगता है कि वे माता नहीं बन पाएंगी लेकिन आधुनिक तकनीक के इस युग में सही समय पर राय और उपचार लिया जाए तो मुश्किल राह भी आसान हो जाती है।

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