




सभी का उत्तर यह होगा कि भगवान श्री जगन्नाथ जी का! पर यह उत्तर सही नहीं है। भगवान श्री जगन्नाथ जी का भोग लगने से पहले उनके सेवक गरुड़ जी, जय और विजय द्वारपालों को पहले भोग लगता है। फिर श्री जगन्नाथ जी को भोग लगता है. फिर माता बिमला जी को लगता है। उसके बाद माता लक्ष्मी जी का भोग रसोई घर में बनाया जाता है.फिर माता लक्ष्मी जी को भोग लगता है। साधारणतः घर में घर का मालिक ओर उसके परिवार वाले पहले भोजन करते हैं.पर श्री जगन्नाथ जी पहले उनके सेवकों को भोजन कराते हैं, फिर स्वयं भोजन करते हैं.इसका अर्थ यह है कि जो आपके आश्रित हैं उनको पहले भोजन कराने चाहिए.यह स्वयं श्री जगन्नाथ जी हमें करके दिखाते हैं. उधर माता लक्ष्मी जी सभी को भोजन कराने के पश्चात स्वयं भोजन करते हैं. इसीलिए उस मंदिर का नाम ही माता लक्ष्मी जी के नाम पर ही रखा गया है.उसे श्रीमंदिर कहा जाता है।