अपने अस्तित्व से खेल रही हैं माडर्न होती हिंदू लड़कियां व महिलाएं -पं० भरत उपाध्याय

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वास्तव में तन ढकने में साड़ी की हीअहम भूमिका है! साड़ी में ही,सम्पूर्ण नारी का सम्मानित स्वरूप, उनको पूज्यनीय बनाता है। महिलाएं साड़ी में ही पूजा पाठ की अधिकारी मानी जाती हैं। आज का आलेख हमारे गालों पर झंन्नाटेदार तमाचा है। सत्य है कि आजकल परिवार में घर के मुखिया का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है, इसीलिए सर्वत्र सब कुछ बिगड़ रहा है।
“अगर कम कपड़े पहनना ही माडर्न होना है तो जानवर इसमें आप से बहुत आगे हैं” मॉडर्न होती हिन्दू लड़कियों व महिलाओं को मेहदी लगाने का काम भी अब लड़के कर रहे हैं! सन 1980 तक लड़कियाँ कालेज में साड़ी पहनती थीं या फिर सलवार सूट।इसके बाद साड़ी पूरी तरह गायब हुई और सलवार सूट के साथ जीन्स आ गया !2005 के बाद सलवार सूट लगभग गायब हो गया और इसकी जगह Skin Tight काले सफेद “स्लैक्स’ आ गए,फिर 2010 तक लगभग “पारदर्शी स्लैक्स’ आ गए जिसमे “आंतरिक वस्त्र’ पूरी तरह स्प्ष्ट दिखते हैं !फिर सूट, जोकि पहले घुटने या जांघों के पास से 2 भाग मे कटा होता था, वो 2012 के बाद कमर से 2 भागों में बंट गया और फिर 2015 के बाद यह सूट लगभग ऊपर नाभि के पास से 2 भागों मे बंट गया, जिससे कि लड़की या महिला के नितंब पूरी तरह स्प्ष्ट दिखाई पड़ते हैं और 2 पहिया गाड़ी चलाती या पीछे बैठी महिला अत्यंत विचित्र सी दिखाई देती है। मोटी जाँघे, दिखता पेट ! आश्चर्य की बात यह है कि यह पहनावा कॉलेज से लेकर 40 वर्ष या ऊपर उम्र की महिलाओ में अब भी दिख रहा है ! बड़ी उम्र की महिलायें छोटी लड़कियों को अच्छा सिखाने की बजाए उनसे बराबरी की होड़ लगाने लगी हैं ये नकलची महिलायें ! अब कुछ नया हो रहा 2018 मे, स्लैक्स ही कुछ Printed या रंग बिरंगा सा हो गया और सूट अब कमर तक आकर समाप्त हो गया यानि उभरे हुए नितंब अब आपके दर्शन हेतु प्रस्तुत हैं !साथ ही कॉलेज की लड़कियों या बड़ी महिलाओं मे एक नया ट्रेंड और आ गया है स्लैक्स अब पिंडलियों तक पहुच गया, कट गया है नीचे से ,और सबसे बड़ी बात यह है कि यह सब वेशभूषा केवल ‘हिन्दू लड़कियों व महिलाओं” में ही दिखाई पड़ रही है ! समझ नहीं आता कि इनके घर वाले इनके बाप भाई इनको ऐसी हरकतों के लिए रोकते क्यूँ नही हैं! ( बोलते सभी हैं लेकिन आजकल कोई किसी की नहीं सुनता न मानता है) आखिर इनको चाहिए क्या इस प्रकार से अपनी इज्जत को दुनिया के सामने परोस कर क्या इनको किसी का डर नहीं, किसी की इज्जत की परवाह नहीं ।ना भाई का ना बाप का ना आने वाली जिंदगी का । जब इनकी शादी होगी और उनके ससुराल वाले इनका पति ओर ससुर देखेंगे इनको.. हिन्दू लड़कियाँ /महिलायें जितना अधिक शरीर दिखाना चाह रहीं, मुस्लिम महिलायें उतना ही अधिक पहनावे के प्रति कठोर होती जा रही हैं। हिन्दू पुरुषों की वेशभूषा में पिछले 40 वर्ष मे कोई उल्लेखनीय परिवर्तन नही हुआ। पहले पुरुष साधारण या कम कपड़े पहनते थे,नारी सौम्यता पूर्वक अधिक कपड़े पहनती थीं, पर अब टीवी सीरियलों, फिल्मों की चपेट में आकर हिन्दू नारी के आधे कपड़े स्वयं को Modern बनने में उतर चुके हैं ! यूरोप द्वारा प्रचारित “नंगेपन” के षडयंत्र की सबसे आसान शिकार, भारत की मॉडर्न हिन्दू महिलाएं है, जो फैशन के नाम पर खुद को नंगा करने के प्रति बेहद गंभीर हैं, पर उन्हें यह ज्ञात नहीं कि वो जिसकी नकल कर इस रास्ते पर चल पड़ी हैं, उनको इस नंगापन के लिए विज्ञापनों में करोड़ों डॉलर मिलते हैं ! उन्हें कपड़े न पहनने के पैसे मिलते हैं। यहाँ कुछ महिलायें सोचेंगी कि हमें क्या पहनना है ये हम तय करेंगे कोई और नहीं, तो आप अपनी जगह बिल्कुल सही हैं, लेकिन ज़रा सोचिये यदि आप ऐसे कपड़े पहनती हैं जिसके कारण आप खुद को असहज महसूस करती हो तो ऐसे दिखावे के कपड़े पहनने से क्या फायदा ? पहनावे में यह बदलाव न पारसी महिलाओं में आया न मुस्लिम महिलाओं में आया, यह बदलाव सिर्फ और सिर्फ हिंदू महिलाओं में ही क्यों आया है …? जरा इस पर विचार कीजियेगा ! यह आलेख केवल हमारी बहू, बेटियों, माताओं, बहनों को यूरोप द्वारा प्रचारित नंगेपन के षडयंत्र का शिकार बनने से रोकने के लिए है, यदि इस आलेख को आप अपने बहनों, बेटियों से शेयर करें तो हो सकता है कि हमारा आने वाला समाज प्रगति की ओर तत्पर हो जाये !!

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