“संघर्ष और निरंतरता की शक्ति”-पं० भरत उपाध्याय

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एक बार बादलों की हड़ताल हो गई बादलों ने कहा अगले दस साल पानी नहीं बरसायेंगे। ये बात जब किसानों ने सुनी तो उन्होंने अपने हल वगैरह पैक कर के रख दिये लेकिन एक किसान अपने नियमानुसार हल चला रहा था। कुछ बादल थोड़ा नीचे से गुजरे और किसान से बोले क्यों भाई पानी तो हम बरसाएंगे नहीं फिर क्यों हल चला रहे हो? किसान बोला कोई बात नहीं जब बरसेगा तब बरसेगा लेकिन मैं हल इसलिए चला रहा हूँ कि मैं दस साल में कहीं हल चलाना न भूल जाऊँ।
अब बादल भी घबरा गए कि कहीं हम भी बरसना न भूल जाएं। तो वो तुरंत बरसने लगे और उस किसान की मेहनत जीत गई।
जिन्होंने सब pack करके रख दिया वो हाथ मलते ही रह गए, सो लगे रहो भले ही परिस्थितियां अभी हमारे विपरीत है, लेकिन आने वाला समय निःसंदेह हमारे लिये अच्छा होगा।
कामयाबी उन्हीं को मिलती है जो विपरीत परिस्थितियों में भी मेहनत करना नहीं छोड़ते हैं। जो पानी से नहाते है वो लिवास बदल सकते हैं पर जो पसीने से नहाते है, वो इतिहास बदल सकते हैं। उपरोक्त प्रसंग से निम्नलिखित शिक्षाएं मिलती हैं:
परिस्थितियों से हार न मानें: प्रतिकूल परिस्थितियों में भी प्रयास करना बंद नहीं करना चाहिए। निरंतरता से ही सफलता संभव है। दृढ़ निश्चय और धैर्य: कठिन समय में धैर्य और दृढ़ता बनाए रखना आवश्यक है। यह सफलता की ओर ले जाता है। आशा और विश्वास बनाए रखें: कभी भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। समय चाहे कितना भी खराब हो, बेहतर दिनों की संभावना हमेशा बनी रहती है। निरंतर अभ्यास का महत्व: किसी भी कार्य में निरंतर अभ्यास हमें उस काम में कुशल बनाए रखता है। मेहनत का फल अवश्य मिलता है: मेहनत और लगन से किए गए कार्य का परिणाम हमेशा सकारात्मक होता है। दूसरों के लिए प्रेरणा बनें: अपने कार्यों से दूसरों को प्रेरित करना भी एक महत्वपूर्ण पहलू है।

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