बहनों ने भाई की कलाई पर सुरक्षा के प्रतीक रूप में रक्षा सूत्र बांधा:- पं0-भरत उपाध्याय

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मधुबनी,पूर्व प्राचार्य पंडित भरत उपाध्याय ने रक्षाबंधन पर्व पर रक्षा सूत्र बंधवाने के बाद कहा कि, हमारे देश के प्रमुख पर्व-त्योहारों में रक्षाबंधन का विशिष्ट स्थान है। देश और समाज के सभी वर्गों को एकता के सूत्र में बांधना इस पर्व का प्रमुख उद्देश्य है। द्वापर युग में कृष्ण की बहन सुभद्रा ने रक्षाबंधन की परंपरा को आरंभ किया ।इससे पहले त्रेता युग में मुनियों ,संत -महात्माओं और ब्राह्मणों ने राम को रक्षा सूत्र भेंट कर रक्षा का सांकेतिक विश्वास प्रकट किया था। यह मात्र धागे का बंधन नहीं है बल्कि सशक्त अनुभूति की गांठ है। शास्त्रों के अनुसार रक्षा सूत्र के प्रभाव से देवराज इंद्र ने दानवों का संघार किया और 12 वर्षों से लगातार पराजित हो रहे देवताओं को विजय मिली। यह तिथि श्रावण पूर्णिमा थी।

उसी समय से सनातन धर्म में रक्षाबंधन पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई ।आज के दिन बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उनके दाहिने हाथ में राखी को तीन गांठ से बांधती हैं ।मान्यता है कि राखी की इन तीन गांठ का महत्व ब्रह्मा, विष्णु और महेश से होता है ।फिर भाई को मिठाई खिलाकर उसकी आरती उतारती हैं ।साथ ही भाई की लंबी उम्र, सुखी जीवन तथा उन्नति की कामना भी करती हैं।

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