बिहार/पटना। बिहार सरस मेला 2022 में समाजिक एवं क्लचरल संस्था नेहवा की ओर से गाँधी मैदान पटना में शानदार मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमे बिहार के प्रसिद्ध कवियों एवं कवित्रियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की। इस अवसर पर हास्य व्यंग के प्रसिद्ध कवि चोंच ग्यावी, मोईन गरिडीहवी, जीनत शेख, ज्योति स्पर्श, शमा कौसर शमा, निखत आरा, जबीन शम्स निज़ामी, अमित अदयन्त ने अपनी रचनाए प्रस्तुत कर श्रोताओं का दिल जीत लिया। इस कार्यक्रम का मंच संचालन जबीन शम्स निज़ामी तथा चोंच ग्यावी ने संयुक्त रूप से किया। सर्व प्रथम जीनात शेख को मंच पर बुलाया गया, उन्होंने अपने ख़ास अंदाज़ में ग़ज़ल पेश की, बहुत रंगीन मौसम है तुम ऐसे में चले आओ, कि बेताबी का आलम है तुम ऐसे में चले आओ। इनके बाद जबीन शम्स निज़ामी ने शमा कौसर शमा को आवाज़ दी गयी, फिर निकहत आरा को दावत दी गयी, उन्होंने कहा, दो क़दम साथ चल के दिखा फिर ज़रा, मेरी जानिब क़दम को बढ़ा फिर ज़रा। युवा कवि अमित अदयंत ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को खूब ताली बजाने पर मजबूर किया। प्रसिद्ध उर्दू कवि कथा कार, पत्रकार, ड्रामा लेखक मोईन गरिडीहवी ने अपने तरंन्नुम भरे आवाज़ में कहा कि, वो जो अंगड़ाईयाँ छतों पर ले, फिर अमावस में चांदनी होगी। मांग में उनके टैंक दूँ तारे, फिर मोईन खूब दिलकशी होगी। मुशायरा का रंग बदलने के लिए हास्य एवं वयंग के प्रसिद्ध कवि चोंच ग्यावी को आवाज़ दी गयी जिन्होंने ने कई मुक्तक प्रस्तुत किये और श्रोताओं ने खूब तालियां बजायी, सोच कर मशवरा मुझे देना चाहता हूँ मैं ये कमाल करूं पाप मुझको तो कुछ नहीं होगा मुर्ग औरों के गर हलाल करूं। अब बारी थीं जबीन शम्स निज़ामी कि जिन्होंने अपनी रचना से मोहब्बत का खूब पैगम दिया। जबीन ने कहा: हवाओं के रुख के साथ चले तो क्या चले, उनके विपरीत चल के दिखाओं तो कोई बात बने, सियासत नाम है चेहरे पर मुखौटों की नुमाईश का, सियासत को आईना साफ़ दिखाओ तो कोई बात बने, मुर्दों का शहर है यहां कोई किसी को रास्ता नही देता। अपने रास्ते खुद बनाओं तो कोई बात बने, अंत में मुशायरा के आयोजक मोईन गरिडीहवी ने वहाँ मौजूद सभी श्रोता, संस्था नेहवा कवि एवं कवित्रियों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रोग्राम के समापन का एलान किया।