लोकसेवकों को सेवा निवृत्ति का सबक:- पं०भरत उपाध्याय

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बगहा। प्रतिदिन हजारों लोक सेवक रिटायर होते हैं! आज यह बात मायने रखती है कि पद पर रहते हुए आप इंसान कैसे थे? अपने पद पर रहते हुए लोगों को तवज्जो कितनी दी ?समाज को आपने क्या दिया? कितनों के काम आए! या फिर सिर्फ घमंड में बैठे रहे!जो पद और सत्ता में रहते हुए कभी अपने कलम से किसी का हित नहीं करते, रिटायरमेंट के बाद ऐसे लोगों को समाज की बड़ी चिंता होने लगती है! यदि आप समाज के लिए कुछ करेंगे तो ही रिटायरमेंट के बाद समाज आपको अच्छी नजरों से देखेगा और आपका सम्मान करेगा।लाख बदल लोआइना, पर चेहरा नहीं बदलता, हथेलियों पर खींचने से लकीरें, मुकद्दर नहीं बदलता! सोच से ही बहुत कुछ बदल सकता है! बिना सोचे कुछ नहीं बदलता … लोग आपको कैसे देखते हैं यह जरूरी नहीं…, आप अपनेआप को कैसे देखते हैं यह बहुत जरूरी है बढ़ती उम्र का भी अपना अलग मजा है,आँखें धुंधली हो जाती हैं लेकिन लोगों को पहचानने में आप माहिर हो जाते हैं.. अच्छे दिन के इंतजार में!सारी जिंदगी गुजर जाती है, बाद में अहसास होता है जो गुजर गए वही अच्छे दिन थे ! “झूठी” बात पर जो “वाह” करेंगे “वही” लोग आपको “तबाह” करेंगे !! सरल रहो ताकि सब तुमसे मिल सकें! तरल रहो ताकि तुम सबमे घुल सको!! किसी ने क्या खुब कहा है साहब बहुत ज्यादा परखने से, बहुत अच्छे अच्छे रिश्ते भी टुट जाते है.. नफ़रत कमाना भी इस दुनिया में..आसान नहीं है ! लोगों की आँखों में खटकने के लिये..कुछ खूबियाँ भी तो होनी चाहिए..!

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