मझौलिया से राजू शर्मा की रिपोर्ट….
बेतिया/मझौलिया। हमारे ऋषि-मुनियों ने पहला सुख निरोगी काया को बताया है। इसका आशय है कि जिस व्यक्ति का शरीर स्वास्थ्य है रोगी रहित है वह व्यक्ति सबसे सुखी है। गर्मी का मौसम सभी के लिए चुनौतियों से भरा होता है।और जब बात आती है छोटे बच्चों की देखभाल की तो यह चुनौतियां दोगुनी हो जाती है।दरअसल चिलचिलाती गर्मी के कारण छोटे बच्चे कई तरह की बीमारियों की आसानी से शिकार बन जाते हैं। ऐसे में माता-पिता की चिंता स्वाभाविक है।इस मौसम में बच्चों में भी पानी की कमी हीटस्ट्रोक , डायरिया जैसी समस्या आम हो जाती है।ऐसे में पेरेंट्स छोटे बच्चों की अच्छी तरह देखभाल करना और भी आम हो जाता है।ब्लॉक रोड मझौलिया स्थित ग्रीन लाइफ हॉस्पिटल के निदेशक शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शहजाद आलम ने बताया कि गर्मी को मात देने के लिए छोटे बच्चों का ख्याल रखना अनिवार्य है।इस मौसम में छोटे बच्चों के लिए दूध उत्तम आहार है। गर्मी में शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जाती है।गर्मी से छोटे बच्चों के शरीर में भी पानी की कमी हो सकती है।ऐसे में छोटे बच्चों को पानी के अलावा मां का दूध भी जरूरी है।इसे उन्हें बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है।इस मौसम में 6 महीने से कम उम्र के बच्चे को दूध पीने की आवश्यकता पड़ जाती है।इसके लिए मां को भी हाइड्रेट रहना जरूरी है ताकि बच्चों को सही मात्रा में दूध मिल सके इसके लिए मां को नियमित रूप से पर्याप्त मात्रा में भोजन पानी चाहिए और ठंडी जगह पर रहने की कोशिश करनी चाहिए। चिलचिलाती धूप में भूलकर भी छोटे बच्चों को घर से बाहर ना निकालें।अगर आपका बेबी थोड़ा बहुत भी सॉलि़ड फूड खाने लगे तो उसे हमेशा ताजा भोजन ही खिलाएं। इस मौसम में बच्चों को ढेर सारे कपड़ों की लेयर पहनाने से बचे।गर्मियों के दौरान नवजात शिशुओं के त्वचा पर तेल लगाने से फायदे के वजह नुकसान ही होता है।यदि इसे अच्छी तरह नहीं धोया गया तो त्वचा में जोड़ों के स्थान पर रह जाता है।जिस कारण हीट ड्रेसेस खुजली एवं फोड़े आदि की समस्या हो सकती है। समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लें। बच्चों को गर्मियों में ज्यादा तेल मसाले आदि के इस्तेमाल से बना भोजन से परहेज करें ।वही स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर साबरीन परवीन ने बताया कि स्वास्थ्य ही धन है। स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति को स्वास्थ्य दिन आचार्य स्वास्थ्य खान पान स्वस्थ रहन-सहन के साथ साथ सही परिवेश एवं व्यक्तिगत साफ सफाई तथा स्वछता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।