



वाल्मीकि विहार परिसर में आदिवासियों के पारंपरिक लोकगीतों एवं नृत्यों का पर्यटकों ने उठाया लुत्फ
जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,
बेतिया/वाल्मीकिनगर:-वाल्मीकि विहार प्रांगण में टूर पैकेज पर भ्रमण के लिए आने वाले 15 सदस्यीय सैलानियों के टीम को आकर्षित करने के लिए शनिवार की रात वन विभाग द्वारा झमटा नृत्य का आयोजन कराया गया। आदिवासी बहुल क्षेत्र के महिला एवं पुरुषों द्वारा पर्यटकों को लुभाने के लिए अलग-अलग प्रकार से प्रस्तुति कर उनका मनोरंजन किया जाता है। ताकि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के तरफ पर्यटकों का आकर्षण बना रहे। 23 अक्टूबर से शुरू नए पर्यटन सत्र में वाल्मीकिनगर भ्रमण के लिए टूर पैकेज पर आने वाले तीसरी टीम का वन विभाग द्वारा आदिवासियों के पारंपरिक लोक गीतों एवं नृत्यों की प्रस्तुति से स्वागत किया गया। टूर पैकेज पर आने वाले 15 सदस्यीय सैलानी पटना से सटे जिलों के रहने वाले थे। जिन्हें मुख्य कार्यालय वन विभाग पटना द्वारा नेचर गाइड के निर्देशन में वाल्मीकिनगर भेजा जाता है। टूर पैकेज पर आने वाले सैलानियों के लिए वन विभाग द्वारा विशेष तैयारी की जाती है। उन पर्यटकों को वन विभाग विशेष सुविधा उपलब्ध कराता है। उनके मनोरंजन के लिए खास तैयारी की जाती है। जिसमें आदिवासी बहुल गांव के महिला एवं पुरुष कलाकार अपने कला का प्रदर्शन कर उनका मनोरंजन करते हैं। शनिवार की रात्रि टूर पैकेज पर आने वाले पर्यटकों के समक्ष आदिवासी महिला एवं पुरुषों द्वारा झमटा नृत्य के माध्यम से लोकगीतों सहित देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति कर उनका मनोरंजन किया गया। आदिवासी कलाकारों के थिरकते पांव उपस्थित विभिन्न जिलों एवं अलग-अलग राज्यों से आए हुए पर्यटकों के मनोरंजन का एक अलग ही एहसास दिलाता है। जिसे देखकर पर्यटक पुनः वाल्मीकिनगर आने की योजना बनाने में लग जाते हैं।

डांडिया, झरका व झमटा नृत्य की होती है प्रस्तुति
वन विभाग के वाल्मीकि विहार परिसर में आदिवासी कलाकारों द्वारा शनिवार की रात टूर पैकेज पर आने वाले पर्यटकों के लिए डांडिया झरका व झमटा नृत्य की प्रस्तुति की गई। डांडिया नृत्य में फिल्मी गानों की प्रस्तुति, झूमता नृत्य में फसल बुवाई वह कटाई के गीतों की प्रस्तुति व झरका नृत्य अतिथियों के आगमन पर स्वागत के लिए प्रस्तुत की जाती है। जनजाति समुदाय के तीनों पारंपरिक लोकगीतों का नृत्य वह उसे दौरान प्रस्तुत की गई झांकियां भी पर्यटकों को आकर्षित करने में किसी प्रकार का कोर कसर नहीं छोड़ता है।
अक्टूबर 2019 से कराया जाता है झमटा नृत्य
वन विभाग द्वारा पर्यटकों के मनोरंजन के लिए झमटा नृत्य का आयोजन वर्ष 2019 अक्टूबर से ही शुरू
कर दिया गया है। पहले यह कार्यक्रम प्रत्येक दिन हुआ करता था, लेकिन शनिवार और रविवार के दिन विशिष्ट सैलानियों के आगमन को देखते हुए इसे सप्ताहिक कर दिया गया।
वाल्मीकिनगर भ्रमण के लिए शनिवार और रविवार के दिन विशेष रूप से पर्यटकों का आगमन काफी संख्या में होता है। जिसको लेकर वन विभाग के द्वारा झमटा नृत्य का कार्यक्रम अब प्रत्येक शनिवार को ही कराया जाता है।

आदिवासियों की कला एवं संस्कृति का पहचान दिलाना है मुख्य उद्देश्य
सरकार के द्वारा जारी निर्देश के आलोक में झमटा नृत्य का आयोजन का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के कला एवं संस्कृति का पहचान दिलाना है। दूसरे राज्यों एवं जिलों
से आने वाले पर्यटक आदिवासियों के कला एवं संस्कृति के बारे में विशेष जानकारी नहीं रख पाते हैं।
उन्हें आदिवासियों के कला एवं संस्कृति सहित वेशभूषा की पहचान दिलाना हीं इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। झमटा नृत्य के साथ साथ पुरुषों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली डांडिया नृत्य भी पर्यटकों के मन मोहने में किसी प्रकार का कोई कोर कसर नहीं छोड़ पाता है। रेंजर अमित कुमार ने बताया कि यह विभाग के लिए बड़ी उपलब्धि है।
नए पर्यटन सत्र 23 अक्टूबर के बाद तीसरी बार पहुंचा टूर पैकेज सैलानियों की टीम
वाल्मीकि विहार परिसर में आदिवासियों के पारंपरिक लोकगीतों एवं नृत्यों का पर्यटकों ने उठाया लुत्फ










