



जिला व्यूरो, विवेक कुमार सिंह
बेतिया/वाल्मीकिनगर:-वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) की हरियाली के बीच जंगल सफारी करने पहुंचे पर्यटक शनिवार की सुबह उस वक्त रोमांचित हो उठे, जब उन्होंने खुले जंगल में हिरणों की पांचों प्रजातियों को एक साथ विचरते देखा। इसके साथ ही गौर (जंगली भैंस) का झुंड भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। यह नजारा देख सिवान और कुशीनगर से आए सैलानी खुशी से झूम उठे। पर्यटकों ने बताया कि उन्होंने पहली बार जंगल में चीतल, सांभर और बर्किंग हिरण को एक साथ उछलते-कूदते देखा। उनके मुताबिक, यह नजारा किसी वाइल्डलाइफ फिल्म जैसा था। हालांकि, कई पर्यटक रॉयल बंगाल टाइगर को देखने की उम्मीद में आए थे। बाघ नहीं दिखने का उन्हें थोड़ा मलाल जरूर रहा। फिर भी वीटीआर की हरियाली, घाटियों की गहराई और पक्षियों की मधुर आवाजों ने उनके मन को मोह लिया।
कुशीनगर से आए प्रेम कुमार शुक्ला ने बताया कि यहां उनका अनुभव अद्भुत और अविस्मरणीय रहा। हमने सोचा भी नहीं था कि बिहार-नेपाल सीमा से सटा वाल्मीकिनगर इतना सुंदर होगा। यहां का दृश्य कश्मीर से कम नहीं है। हम यहां से कई यादगार लेकर जा रहे हैं।
पर्यटकों ने देखा, वीटीआर में पांच प्रजाति के हिरणों का झुंड
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघ, भालू, तेंदुआ और गौर के अलावा हिरण प्रजातियों की पांच किस्में बड़ी संख्या में पाई जाती हैं। इनमें बर्किंग हिरण, सांभर, चीतल और चार सींग वाला हेग डियर प्रमुख हैं। वन अधिकारियों के अनुसार, इन हिरणों की संख्या वीटीआर में सबसे अधिक है और ये बाघों का प्रमुख आहार भी हैं।
वाल्मीकि आश्रम के विकास की उठी मांग
इंडो-नेपाल बॉर्डर से सटे पहाड़ी इलाके में स्थित वाल्मीकि आश्रम का भ्रमण करने के बाद सिवान और कुशीनगर के पर्यटकों ने कहा कि इस पौराणिक स्थल का विकास बेहद जरूरी है। इनका कहना है कि लव-कुश की जन्मस्थली होने के बावजूद आश्रम क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। यदि भारत सरकार और राज्य सरकार यहां पर्यटक सुविधाओं का विस्तार करें, तो देश-विदेश से आने वाले सैलानियों की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी। पर्यटकों ने कहा कि वाल्मीकि आश्रम का नाम ही उन्हें यहां तक खींच लाया। यह स्थान धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसका समुचित विकास वाल्मीकिनगर के पर्यटन को नई ऊंचाई दे सकता है।










