पशु चिकित्सक के अभाव में पशुओं की हो रही असमय मौत।

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जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर:- थाना क्षेत्र के पशुपालकों को पशु चिकित्सक का अभाव उनके पशुओं के असमय मृत्यु का कारण बनता जा रहा है। आए दिन पशुपालकों के पशु विभिन्न बीमारियों के कारण बेमौत मर रहे हैं। वाल्मीकिनगर के तीन आरडी पुल चौक के पास स्थित पशु चिकित्सालय वर्तमान में खंडहर मैं तब्दील होता जा रहा है। स्थानीय लोगों द्वारा वर्षों से पशु चिकित्सक और चिकित्सालय की मांग की जा रही है। रविवार की सुबह एक गौ माता इलाज के अभाव में अपना दम तोड़ दिया। वाल्मीकि सेवा दल के सदस्यों द्वारा गौ माता को बचाने का भरसक प्रयास किया गया, लेकिन इलाज के अभाव में कोशिश असफल रही । इस बाबत समाजसेवी संतोष रौनियार ने बताया कि हम एक गौ की जान नहीं बचा सके, इससे बड़ी दुखद की बात क्या हो सकती है? वाल्मीकिनगर का क्षेत्र कृषि और पशुपालन पर निर्भर है। किसान गंडक नदी से परेशान है, और पशुपालक चिकित्सक के अभाव में अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं हैं। पशुओं में होने वाले बीमारियों का इलाज अपने स्तर से पशुपालक करते हैं। फिर भी वे कामयाब नहीं हो पाते हैं।

जटाशंकर मंदिर में पाली गई हैं दर्जनों गायें

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल में स्थित जटाशंकर मंदिर में रहने वाले महंत बाबा खाटू श्याम पुरी ने बताया कि मंदिर में दर्जनों गायें पाली गई है। कई गायों की मौत इलाज के बिना हो गई है। कई गायों को तो जंगली जानवर भी अपना निवाला बना गए हैं। बावजूद इसके उनके देखरेख में कोई भी कमी नहीं रखी जाती है।

बोले ग्रामीण

वाल्मीकिनगर में रहने वाले पशुपालक खुर्शीद आलम, चुन्नू ठाकुर, विवेक सिंह, रंजन यादव एवं विनोद यादव ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि, पशुओं का बेमौत मरना पशुपालन विभाग के लापरवाही का कारण है। विभाग के तरफ से पशुओं के इलाज के लिए वाल्मीकिनगर थाना क्षेत्र में ना ही चिकित्सालय की व्यवस्था की गई है और ना ही चिकित्सक की। इसके लिए हम लोगों ने कई बार लिखित रूप में आवेदन भी दिए हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा हमें कुछ नहीं मिला। जिसका प्रतिफल आए दिन दुधारू गायों की मौत है।

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