जिंदगी की जंग हार गया सांभर, गंडक नदी में डूबकर सांभर (हिरण) की हुई मौत, रेस्क्यू टीम का प्रयास असफल।

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जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर:- वीटीआर को स्पर्श कर बहने वाली गंडक नदी में रविवार की सुबह गंडक बराज के फाटक के समीप पानी में डूब एक सांभर की मौत हो गई। गंडक नदी में डूब रहे हिरण (सांभर) की सूचना पर वाल्मीकिनगर रेंजर अमित कुमार के नेतृत्व में वन कर्मियों की टीम ने उसे पानी से निकलने के लिए कड़ी मशक्कत की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सांभर को पानी से बाहर निकाला गया लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी। इस बाबत वाल्मीकिनगर रेंजर ने बताया कि नदी में पानी पीने के क्रम में हिरण पानी के तेज बहाव में बह गया होगा। गंडक बराज के फाटक से हिरण को बचाने की कवायद विफल रही।
वन विभाग की टीम ने बड़ी मशक्कत के बाद उसे निकाला। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सांभर ने दम तोड़ दिया था।बताते चले कि वीटीआर में सांभर (हिरण)काफी तादाद में रहते हैं। गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने से ये धारा में बह जाते हैं और गंडक बराज के फाटक में फंस जाते हैं। वन विभाग की टीम इन्हें किसी तरह निकालती है। राहगीरों ने रविवार को वन विभाग के अफसरों को नदी में सांभर फंसे होने की जानकारी दी। कर्मचारी मौके पर पहुंचे तो नदी में एक सांभर फंसा हुआ था। उनके कोशिश के बाद भी बाहर निकल नहीं पा रहा था, और बुरी तरह थका हुआ था। वन विभाग के कर्मचारियों ने उन्हें बाहर खींचा। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद उसे बाहर निकालने में सफलता मिली। तब तक बहुत देर हो चुकी थी।टीम ने मौके पर पहुंचकर रस्सियों के सहारे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। जहां कड़ी मशक्कत के बाद हिरण को बाहर निकाल लिया गया। गंडक नदी में पानी की गहराई ज्यादा थी, इसलिए समय से रेस्क्यू करना बेहद जरूरी था। वह पानी के बीच जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा था। जिसकी सूचना तत्काल वन विभाग को दी गई। अंत में जीवन और मौत की लड़ाई में सांभर जिंदगी की जंग हार गया।गंडक बैराज से मृत सांभर के शव को कोतराहा वन परिसर लाया गया। शव को वन पदाधिकारियों की उपस्थिति में 12:50 बजे दफनाया दिया गया।

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