संतान की दीर्घायु और मंगलकामना के साथ मनाया जीवित्पुत्रिका व्रत।

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जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह

बेतिया/वाल्मीकिनगर। संतान की सुख-समृद्धि के लिये रखे जाने वाले जितिया व्रत को लेकर महिला श्रद्धालुओं में उत्साह देखा गया। बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु वाल्मीकिनगर स्थित संगम तट पर स्नान के लिए पहुंचीं।उन्होंने स्नान के बाद माता गंडकी की पूजा-अर्चना की। अपने संतान की दीर्घायु के लिए आशीर्वाद मांगा। ऐसी मान्यता है कि जितिया व्रत करने से संतान की आयु में वृद्धि होती है और उनके रोग दोष दूर हो जाते हैं। यह पर्व आश्विन महीने में कृष्ण पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक तीन दिन के लिए मनाया जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं अन्न-जल ग्रहण कर करतीं हैं। इस व्रत में गंगा स्नान का खास महत्व माना जाता है। इस बाबत पंडित अनिरुद्ध दुबे जी ने बताया कि जीवित्पुत्रिका व्रत- आस्था, त्याग और संकल्प का संगम है  जिसे संतान की दीर्घायु और मंगलकामना के लिए माताएं करती हैं। यह व्रत मां की ममता का संकल्प है जिसमें  संतान की लंबी सांसों की कामना है।  जितिया पर्व में मां का उपवास, पुत्र के जीवन का विश्वास है। निर्जला तपस्या, संतान की सुख-समृद्धि की अभिलाषा है। ममता की माला में पिरोया यह व्रत  संतान के मंगल का संदेश देता है।इस पर्व में मातृशक्ति अपने पुत्र की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करते हुए पूरे चौबीस घंटे निर्जला उपवास कर व्रत रहती हैं।अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 14 सितंबर रविवार को प्रातः 8:51 बजे आरंभ होकर 15 सितंबर सोमवार को प्रातः 5:36 बजे समाप्त होगी। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में बड़ी श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है।

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