वनकर्मियो को सांप-बिच्छू से लेकर हिंसक वन्यजीवों के हमलों का खतरा।

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मानसून सीजन में बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती।

जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर। वीटीआर के जंगल में कई जगह पानी भर जाने से मानसून गश्त में वन कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। जंगल में भरे पानी में वन कर्मचारी पैदल गश्त कर वन्यजीवों की सुरक्षा करते हैं। गंडक नदी व बरसात के पानी से जंगल के कुछ इलाकों में पानी भर जाता है, जिससे वन्यजीव सुरक्षित स्थान पर चले जाते हैं। बहरहाल मानसून गश्त तेज कर दी गई है, जिससे वन्यजीवों की सुरक्षा प्रभावी ढंग से की जा सके। वनकर्मियो ने बताया कि जंगल में पानी भर जाने से गश्त करने में कुछ दिक्कतें जरूर आती है। फिलहाल बारिश कम होने के कारण वन क्षेत्र में जल जमाव की स्थिति कम है। बावजूद इसके हमलोग दिन-रात गश्त कर रहे हैं। वन कर्मियों को विगत वर्ष ही गम बूट सहित आवश्यक उपकरण उपलब्ध करा दिए गए थे। मानसून सीजन में जब जंगल हरा- भरा और घना होता है, उस समय नदी नालों में पानी आ जाने व वन मार्गों पर कीचड़ हो जाने से वाहनों की आवाजाही बंद हो जाती है। इस मौसम में जंगल व वन्य प्राणियों विशेषकर बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होती है। क्योंकि इसी मौसम में शिकारियों की भी सक्रियता बढ़ जाती है। सांप-बिच्छुओं से लेकर हिंसक वन्यजीवो के हमलों का खतरा भी बना रहता है। इन हालात में पैदल गश्त करना आसान नहीं है। लेकिन सुरक्षा में तैनात रहने वाले वन कर्मियों को इन कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए ज्यादातर पैदल ही गश्त करना पड़ रहा है।
बारिश के मौसम में जंगल हरा-भरा और घना हो जाता है। ऐसी स्थिति में पैदल चल कर ही जंगल का जायजा लिया जा सकता है। बारिश के मौसम में पानी की उपलब्धता हर जगह होती है, इसलिए वन्य प्राणी पूरे इलाके में विचरण करते रहते हैं, जिसके चलते उनकी मॉनिटरिंग कठिन हो जाती है।
मानसून गश्ती में वन कर्मी लाठी-डंडा लेकर समूह में निकलते हैं। क्योंकि इस समय सबसे ज्यादा खतरा भालू और जहरीले सांपों से रहता है। वीटीआर में चूंकि भालुओं की संख्या अधिक है, इसलिए गश्ती के दौरान सतर्कता बेहद जरूरी रहती है।
हाथी करते हैं बाघों की निगरानी। मानसून सीजन में बाघों की निगरानी व जंगल की सुरक्षा का दायित्व हाथी बखूबी निभाते हैं। टाइगर रिजर्व के पहुंच विहीन क्षेत्रों में जहां नदी नालों के कारण जहां पैदल नहीं पहुंचा जा सकता ऐसे इलाकों में टाइगर रिजर्व के प्रशिक्षित हाथी मुस्तैदी के साथ गश्त करते हैं। मानसून गश्त में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका हाथियों की होती है। हाथियों की मदद से टाइगर रिजर्व के बेहद संवेदनशील इलाकों में भी गश्त संभव हो जाती है।

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