पर्यटन सत्र के समाप्ति के बाद स्वच्छंद विचरण कर रहे वीटीआर के वन्य जीव।

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सफारी वाहन और पर्यटकों की उपस्थिति वन्यजीवों को उनके सामान्य व्यवहार से विचलित करती है। सफारी वाहनों का शोर वन्य जीवों के नैसर्गिक अभ्यारण में बाधक बन रहा था।

जिला ब्यूरो विवेक कुमार सिंह

बेतिया/वाल्मीकिनगर। वीटीआर के जंगल फिलहाल पर्यटकों के लिए बंद हैं लेकिन जंगल में में विचरण करने वाले वन्यजीवों को यह बंदी खूब भा रही है। बाघ, तेंदुआ, चीतल, भालू, गौर सहित अन्य दुर्लभ वन्य जीव पर्यटकों की आमद पर पाबंदी लगने के बाद से जंगल के मुख्य मार्ग सहित खुले इलाकों में बेखौफ विचरण करते नजर आ रहे हैं।वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल इन दिनों वन्य जीवों के स्वच्छंद विचरण का केंद्र बना हुआ है। इसकी वजह है पर्यटन सत्र के समाप्ति के बाद पर्यटकों की आमद का न होना है। बताते चलें कि पर्यटन सत्र में सफारी वाहनों का शोर वन्य जीवों के नैसर्गिक अभ्यारण में बाधक बन रहा था, ऐसे में बाघ, तेंदुआ, भालू , गौर हिरण वन्यजीव एकांत में छिपे रहते थे। फिलहाल पर्यटकों के लिए वीटीआर के दरवाजे तीन महीने के लिए बंद हो चुके हैं। जंगल के वातावरण में ध्वनि एवं वायु प्रदूषण अत्यंत कम हो गया है। ऐसे में वन्य जीवों की चहलकदमी खुले इलाके में होने लगी और वे अकसर जंगल के मुख्य मार्ग अथवा जंगल के कम सघन क्षेत्र में विचरण करने लगे हैं। इससे जंगल की खूबसूरती और बढ़ गई है। प्रकृति प्रेमी मनोज कुमार के मुताबिक वन्यजीवों को प्रदूषण मुक्त खुला वातावरण मिल रहा है। इसलिए वे मुक्त रूप से भ्रमण करते नजर आने लगे हैं। सफारी वाहन और पर्यटकों की उपस्थिति वन्यजीवों को उनके सामान्य व्यवहार से विचलित करती है। इस बाबत बाल्मीकि नगर रेंजर श्रीनिवास नवीन ने बताया कि जंगल प्रकृति का अनुपम उपहार है और वन्यजीव उसकी शोभा। उन्हें खुला वातावरण मिला तो वे स्वच्छंद विचरण करने लगे हैं। वीटीआर की फिजा बदली बदली नजर आ रही है। विशेषकर शोर-शराबा कम होने व प्रदूषण घटने से पर्यावरण भी शुद्ध हुआ है। जहां इस तरह का प्राकृतिक माहौल वन्य प्राणियों को रास आ रहा है।

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