तालाब से तीन फीट लंबे मगरमच्छ का रेस्क्यू।

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जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह

बेतिया/वाल्मीकिनगर। थाना क्षेत्र के चंपापुर गांव के समीप एक तालाब में शनिवार की सुबह मगरमच्छ मिलने से हडकंप मच गया । मछली पालक शिव राय के द्वारा वन विभाग को इसकी सूचना दी गई । वनकर्मियों ने घंटों मशक्कत के बाद किसी तरह इस मगरमच्छ को तालाब से निकाला। इस बाबत मछली पालक ने बताया कि वे इससे बेहद परेशान हैं। मगरमच्छ तालाब में पली मछलियों को अपना निवाला बना रहे हैं। इसके अलावा तालाबों के पास मवेशी चराने के लिए जाने वाले लोगों के लिए यह मगरमच्छ खतरा बन गए हैं।
इससे मछली पालक के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।तालाबों के किनारे अक्सर लोग अपने मवेशी चराने जाते हैं। कई बार पशुओं को नहलाने के लिए लोग तालाबों में घुस जाते हैं। उनके लिए भी यह खतरनाक साबित हो गए हैं। वीटीआर से सटे तालाब में  मगरमच्छ की मौजूदगी से लोग दहशत में हैं। लोगों ने उधर मवेशी चराने जाना छोड़ दिया है। यहां तक कि लोग मछलियों का शिकार करने से डर रहे हैं। जब से इस तालाब में मगरमच्छ आया है तब से तालाब की बड़ी मछलियां गायब हो गईं हैं। जो बचीं हैं उन्हें भी मगरमच्छ चट कर रहा है। मगरमच्छ के डर से तालाब की रखवाली और शिकार करना मुश्किल हो गया है।

गंडक नदी एवं नहर के माध्यम तालाबों में आते हैं मगरमच्छ

मगरमच्छों ने अपने आने-जाने का रास्ता इन नहरों को बना रखा है। वनकर्मियों ने  मगरमच्छ को पकड़कर गंडक नदी में छोड़ दिया। इस बाबत वाल्मीकिनगर रेंजर श्रीनिवासन नवीन ने बताया कि मगरमच्छों की बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि वीटीआर में जैव विविधता समृद्ध हो रही है। जहां के तालाबों में मगरमच्छ हैं। वहां के ग्रामीणों को सतर्क रहना चाहिए। गांव की आबादी में मगरमच्छ आने पर इसकी सूचना वन विभाग को दें, ताकि मगरमच्छों से बचाव किया जा सके, और उसे सुरक्षित उसके प्राकृतिक आवास में पहुंचाया जा सके। मौके पर फील्ड बायोलॉजिस्ट सौरभ कुमार मोजूद रहे।

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