




जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह
बेतिया/वाल्मीकिनगर। मानव-हाथी द्वंद से निपटने के लिए एक दिवसीय क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन हरनाटांड़ में किया गया। इस अवसर पर न्यूज़ संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक ने बताया कि यह एक ऐसा कार्यक्रम है जो मानव और हाथी के बीच संघर्ष को कम करने में मदद करेगा । यह प्रशिक्षण वन विभाग और अन्य संबंधित विशेषज्ञों द्वारा आयोजित किया गया । यह मानव और हाथी दोनों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
प्रशिक्षण का उद्देश्य, मानव-हाथी संघर्ष को कम करना
प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मानव-हाथी संघर्ष को कम करना है, जो अक्सर फसल क्षति, चोट और मृत्यु के कारण होता है।
हाथी के व्यवहार को समझना
प्रशिक्षण के दौरान, प्रतिभागियों को हाथियों के व्यवहार और उनके रहवास क्षेत्र के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
इस अवसर पर प्रतिभागियों को मानव-हाथी द्वंद से निपटने के लिए वन विभाग की नीतियों और प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी गई। इसे अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण की लाल सूची में संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। पर्यटन के दृष्टिकोण से भी वन्यजीवों की उपस्थिति काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलता है।हाथी वन पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वन पारिस्थितिकी तंत्र में हाथियों की भूमिका
हाथी बुद्धिमान और अत्यधिक सामाजिक प्राणी होते हैं और बदलते परिवेश के अनुसार प्रतिक्रिया करने की उनकी क्षमता उन्हें कम असुरक्षित बनाती है। एक वयस्क हाथी को प्रतिदिन 100 किलोग्राम से अधिक भोजन की आवश्यकता होती है, जिसमें घास से लेकर छाल, फल, कंद आदि शामिल हैं।हाथी वन पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता के पुनर्स्थापन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
पर्यावास प्रदाता की भूमिका में हाथी
स्थलीय स्तनधारी नियमित रूप से जंगलों में पगडंडियों का उपयोग करते हैं, जो आमतौर पर हाथियों द्वारा तैयार की जाती हैं। दिलचस्प बात यह है कि अन्य जंगली जानवर भी अपनी नियमित गतिविधियों के दौरान इन पगडंडियों का उपयोग करते हैं। चूंकि हाथी के गोबर में बीज और पोषक तत्व होते हैं, खुले और बंजर जंगलों में हाथियों की आवाजाही से वहां वनस्पतियों के पुनर्जनन में मदद मिलती है। मौके पर न्यूज़ संस्था के बायोडायवर्सिटी ऑफिसर सुधांशु दास, श्रुति लोहानी, हरनाटांड़ रेंजर शिवकुमार राम आदि मौजूद रहे।