इंडो नेपाल बॉर्डर पर आने-जाने वालों की पहचान पत्रों की बारीकी से हो रही है जांच।

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विवेक कुमार सिंह की रिपोर्ट..

बेतिया/वाल्मीकिनगर। ऑपरेशन सिंदूर’ के मद्देनज़र इंडो-नेपाल सीमा पर हाई अलर्ट घोषित किया गया था, वह आज भी कायम है। इसी क्रम में नेपाल से सटे बिहार के वाल्मीकिनगर सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व रूप से मजबूत किया गया है।गंडक बराज बॉर्डर पर सशस्त्र सीमा बल के जवान पूरी तरह अलर्ट मोड में हैं। बिना वैध पहचान पत्र के सीमा पार करना पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। यहां तैनात जवान हर व्यक्ति और वाहन की गहन तलाशी ले रहे हैं।वाहनों की डॉग स्क्वायड से चेकिंग कर इंडो-नेपाल सीमा पर कड़ी निगरानी की जा रही है। समय-समय पर गश्त भी किया जा रहा है।
हालांकि इस सख्ती का असर स्थानीय लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर भी पड़ रहा है। बता दें कि‌ भारत-नेपाल के बीच ‘रोटी-बेटी’ का संबंध सदियों पुराना है। सीमा के दोनों ओर लोगों के रिश्ते-नाते हैं, और त्योहारों या पारिवारिक आयोजनों में आवागमन आम बात है। लेकिन बढ़ी हुई चौकसी के चलते अब लोगों को वैवाहिक और पारिवारिक कार्यक्रमों के दौरान भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सुरक्षा के मद्देनजर भारत-नेपाल सीमा पर सख्ती बढ़ा दी गई है। दोनों देशों के आने जाने वाले मार्गों एवं चेकपोस्ट पोस्ट पर एसएसबी द्वारा सघन तलाशी व जांच अभियान शुरू कर दिया गया है। प्रशिक्षित डॉग स्क्वॉड नशीले पदार्थों व विस्फोटकों एवं अन्य संदिग्ध वस्तुओं की पहचान करने में लगे हुए हैं । यहां तैनात जवान वाहन, व्यक्तियों एवं सामान की गहनता से जांच कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, सीमा क्षेत्र में निरंतर गश्त जारी है। जिसमें जवान पैदल एवं वाहनों के माध्यम से दिन-रात निगरानी कर रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्र में हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भारत-नेपाल सीमा के माध्यम से किसी भी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधि न हो सके। सशस्त्र सीमा बल की यह पहल न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिकों में भी सुरक्षा की भावना को मजबूत करती है।नेपाल की खुली सीमा सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती है। मित्र राष्ट्र होने के कारण यहां रोजाना सैकड़ो लोग सीमा पार करते हैं।
इसलिए एसएसबी और पुलिस के जवान हर आने-जाने वाले की जांच कर रहे हैं।सीमा पार से तस्करी रोकने के लिए मादक पदार्थ और हथियारों का पता लगाने में प्रशिक्षित डॉग स्क्वॉड तैनात किए गए हैं।डॉग स्क्वॉड की तैनाती के बाद सीमावर्ती क्षेत्र में संदिग्ध लोगों की जांच करने में मदद मिल रही है।

क्यों है नेपाल के साथ खुली सीमा

भारत और नेपाल लगभग 18 सौ किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। पांच राज्य, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम इस देश से सटे हुए हैं। इसमें से बड़ा हिस्सा वो है, जिसे ओपन बॉर्डर घोषित किया गया है। इंटरनेशनल संधि के तहत नेपाल और भारत ने आपस में भरोसा जताते हुए ये हिस्से खुले रखे हैं।यहां पर उस तरह की सुरक्षा नहीं है, जैसी बाकी हिस्सों में रहती है। यहां तक कि इस रास्ते पर कंटीली बाड़ें भी नहीं हैं। इसे ट्रीटी ऑफ पीस एंड फ्रेंडशिप नाम मिला है। इसका एक कारण ये भी है कि दोनों देश सांस्कृतिक तौर पर काफी एक से हैं। दोनों ही देशों के लोग आपस में रोटी-बेटी का रिश्ता रखते हैं और लगातार आते-जाते रहते हैं। इसी कल्चर को बनाए रखने के लिए 1950 में ओपन बॉर्डर संधि हुई थी।

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