परहित सरिस धर्म नहीं भाई,*पर पीड़ा सम नहीं अधमाई! :- पं० भरत उपाध्याय

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बगहा/मधुबनी। बगहा अनुमंडल के मधुबनी प्रखंड स्थित राजकीय कृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज मधुबनी के पूर्व प्राचार्य प्रख्यात पर्यावरणविद् एवं प्रकृति प्रेमी पं०भरत उपाध्याय ने गौरैया पक्षी को भीषण गर्मी से बचाव के लिए पानी की विशेष व्यवस्था करने की अपील करते हुए कहा कि दूसरों की सेवा के समान कोई धर्म नही और हिंसा से बढ़कर कोई पाप नहीं l सन्त जन कहते हैं कि जो प्राणी सदा दूसरों की मदद करता है, सेवा करता है, परोपकार में लगा रहता है, वह पुण्य की उपार्जना करता है, जिससे उसके लिए सुख के द्वार खुल जाते हैं। हिलमिल कर रहने और एक दुसरे की सेवा सहायता करने में कितना आनंद है !, कितनी प्रसन्नता है ! यदि यह आप महसूस कर सके तो आप स्वयं समझ सकेंगे कि ईश्वर ने इस सृष्टि को कितना सुन्दर बनाया है l प्रकृति का कण-कण हमें परोपकार की शिक्षा देता है- नदियाँ परोपकार के लिए बहती है, वृक्ष धूप में रहकर हमें छाया देता है, सूर्य की किरणों से सम्पूर्ण संसार प्रकाशित होता है । चन्द्रमा से शीतलता, समुद्र से वर्षा, पेड़ों से फल-फूल और सब्जियाँ, गायों से दूध, वायु से प्राण शक्ति मिलती है। पशु और पक्षी भी अपने ऊपर किए गए उपकार के प्रति कृतज्ञ होते हैं। अतः हम सभी को बिलुप्त हो रहे गौरैया पक्षी को बचाने के लिए दो घूंट पानी की व्यवस्था अवश्य करनी चाहिए। स्वयं के प्रयास से मैं अपने आवास पर सौ से ज्यादा गौरैया पक्षियों को बचाने में लगा हूं। दो घूंट पानी में है, गौरैया की जिंदगानी।

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