



जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह
बेतिया/वाल्मीकिनगर:- वाल्मीकिनगर स्थित वन विभाग के सभागार में बाघ गणना के लिए वनकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण फील्ड बायोलॉजिस्ट सौरभ वर्मा द्वारा दिया गया। जिसमें रेंजर, वनपाल सहित सभी टीटी पीपी शामिल हुए। वाल्मीकिनगर रेंजर अमित कुमार ने बताया कि आज के प्रशिक्षण में बाघ गणना से जुड़ी बारीकियों और जरूरी सावधानियों की जानकारी दी गई है। सटीक आंकड़े जुटाने के लिए सभी मानकों का पालन करना जरूरी है। फील्ड सर्वे के दौरान एक विशेष मोबाइल ऐप के माध्यम से सभी जानकारियां अपलोड की जाएंगी। इस ऐप के जरिए बाघ के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष साक्ष्य जैसे पगमार्क, विष्ठा और शिकार की जानकारी दर्ज की जाएगी। फोटो के साथ लोकेशन भी अपलोड की जाएगी। इसके अलावा प्रशिक्षण में रेंज फाइंडर से दूरी मापने और कंपास से दिशा निर्धारित करने की भी जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण आगामी बाघ गणना की तैयारी के तहत दिया गया है।जल्द ही जंगलों में ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे। कैमरों की निगरानी के बाद बाघ गणना का जमीनी कार्य शुरू होगा, जिसमें वनकर्मी और अधिकारी फील्ड में जाकर सर्वे करेंगे।बताते चलें कि देश के 58 टाइगर रिजर्व व उससे लगे वन प्रभागों में बाघों की गणना हर चार साल में एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) कराता है।

इससे पूर्व 2022 में अखिल भारतीय बाघ गणना हुई थी।दरअसल राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा देश भर में बाघों की संख्या जानने को हर चार साल के अंतराल पर राष्ट्रीय बाघ गणना (टाइगर एस्टीमेशन) कराई जाती है। इससे पूर्व राष्ट्रीय बाघ गणना वर्ष 2022 में संपन्न कराई गई थी। उस दौरान वीटीआर में 54 बाघ पाए गए थे। बाघों की गणना के लिए घने जंगलों के बीच बाघों की संभावित मौजूदगी वाले स्थानों में मौजूद पेड़ों पर ठीक आमने-सामने 2 ट्रैप कैमरे लगाए जाते हैं। जिनमें लगा सेंसर किसी भी वन्यजीव के आने जाने पर उनकी तस्वीर कैद कर लेता है। जिसके बाद एक तय समय तक कैमरे में कैद की गई तस्वीरों में से बाघों की तस्वीरों को अलग किया जाता है। बाघों की धारियां मानवों के फिंगरप्रिंट जैसे यूनिक होती हैं।बाघों के शरीर पर मौजूद धारियों की तस्वीरों के आधार पर विशेषज्ञ संख्या का अनुमान लगाते हैं।









