वाल्मीकिनगर में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू, गंडक बराज बना आकर्षण का केंद्र।

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जिला व्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर:- साइबेरिया में भयंकर ठंड से बचने के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा कर प्रवासी पक्षी प्रत्येक वर्ष वाल्मीकिनगर आते हैं। करीब तीन चार माह तक यहां रहते हैं। इन दिनों यह वंश की वृद्धि करते हैं। जैसे जैसे गर्मी बढ़ने लगती है। वैसे वैसे यहां से जाने की तैयारी करने लगते हैं। जैसे जैसे ठंड में इजाफा होगा। वैसे वैसे प्रवासी पक्षियों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। हालांकि मार्च से अप्रैल तक ये अस्थाई आशियानों को छोड़ कर अपने वतन को लौट जाते हैं। ये प्रवासी पक्षी नवंबर- दिसंबर माह में सर्दियों के आगमन पर आते हैं। और मार्च के महीने में बसंत पंचमी के पश्चात अपने वतन को लौट जाते हैं। साइबेरियन क्षेत्र में अधिक ठंड पड़ती है। ठंड के कारण वहां बेजुबान परिंदों के सामने भोजन का संकट उत्पन्न हो जाता है। इसलिए वे अपना वतन छोड़कर गर्म प्रदेशों की ओर रूख कर लेते हैं। साइबेरियन पक्षी में लालसर, दिघवच, डमर, केशराज,अमैठा, गैरी, आदि शामिल है।

आते अकेले, जाते परिवार के साथ

ये पक्षी प्रत्येक वर्ष आते तो अकेले हैं। लेकिन यहां से जाते हैं तो इनके साथ होता है भरा पूरा परिवार। यह परिंदे मुख्यतः नदी के मछली, जलीय जीव एवं आसपास के खेतों में लगे अनाज का सेवन करते हैं। इन दिनों ये प्रजनन भी करते हैं। इस यात्रा के क्रम में ये अंडे भी देते हैं। उन अंडों से बच्चे निकलते हैं। तीन चार माह में उनके बच्चे उड़ना भी सीख जाते हैं।

शिकारियों से सुरक्षा की दरकार 

वन्य जीव अधिनियम के मुताबिक भले ही इन परिंदों का शिकार वर्जित है। लेकिन इनका चोरी छिपे शिकार बड़े पैमाने पर होता है। जिससे इनकी संख्या में भारी कमी देखी जा सकती है। शिकारी खाद्य सामग्री में फेराडाॅन नामक जहर मिलाकर इनका शिकार करते हैं। ये अक्सर मछुआरों के द्वारा नदी में डालें जाल में फंस जाते हैं। इस बाबत वाल्मीकि नगर के रेंजर अमित कुमार ने बताया कि मेहमान परिंदों की सुरक्षा के लिए वन कर्मियों को लगाया गया है। शिकार करते पकड़े जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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