




जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,
बेतिया/वाल्मीकिनगर:- लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर वाल्मीकिनगर में बांस के सूप व दउरा के निर्माण कार्य में तेजी आ गई है। छठ घाटों तक ले जाने के लिए सूप, दउरा की विशेष मांग होती है। यह परंपरा सदियों से कायम है। इसीलिए इनके निर्माण में बांसफोर समाज का एक बड़ा तबका लगा हुआ है। बताते चलें कि छठ का त्योहार पवित्रता का पर्व है, इसीलिए अधिकांश श्रद्धालु बांस से बने सूप दउरा का ही प्रयोग करते हैं। इन दिनों बांस से बने सूप दउरा आदि की भारी मांग है, इसीलिए दिन रात काम चल रहा है। हालांकि आधुनिकता के इस दौर में कुछ श्रद्धालु पीतल की बनी सूप-दउरा का प्रयोग करने लगे हैं। छठ के अवसर पर काष्ठ भंडार मुहल्ले में एक दर्जन से अधिक परिवार बांस से सूप व दउरा आदि के निर्माण में लगे हैं। छठ पर्व के नजदीक आते ही सूप-दउरा की मांग में तेजी आ जाती है। सूप-दउरा के बिना छठ पर्व असंभव है इसलिए श्रद्धालु अन्य पूजन साम्रगी की खरीदारी से पूर्व सूप-डाला की खरीदारी करते हैं। इससे सूप-दउरा की मांग काफी बढ़ जाती है।
सूप-दउरा बनाने वाले हैं तंगहाल
इस बाबत शंभू बांसफोर ने बताया कि जिस सूप से श्रद्धालु अर्घ्य देकर मनोवांछित फल पाते हैं। वहीं सूप बनाने वालों के घर आज भी घोर गरीबी व तंगहाली है। बांस के दाम में हर वर्ष बढ़ोतरी होने से सूप-डाला बनाना महंगा होता जा रहा है। बांस के दाम महंगे रहने से स्वभाविक है कि सूप-डाला के दाम में भी बढ़ोतरी होगी। सूप 150 से 200 रुपये प्रति जोड़ा, एक अदद दउरा 400 से 500 रुपये में उपलब्ध है।