पर्यावरण दिवस पर पूर्व प्राचार्य पं० भरत उपाध्याय ने की अपने सहयोगियों के साथ पौधा रोपण।

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नभ रहे नीला, धरा धानी रहे, सांस ले सकने में आसानी रहे। चांद धरती पर उतरना चाहता है, शर्त है तालाब में पानी रहे!!

बगहा। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पौधरोपण करते हुए पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने कहा कि आज वर्तमान समय में दुनिया तीन बड़े संकटों से जूझ रही है l इनमें प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता की हानि शामिल हैं l इन सबमें प्लास्टिक प्रदूषण एक बड़ा कारण बन गया है l हर साल 11 मिलियन टन प्लास्टिक समुद्रों में पहुंचता है l माइक्रोप्लास्टिक मिट्टी और पानी को भी नुकसान पहुंचाते हैं l इस दिन के माध्यम से सरकारों को पर्यावरण के पक्ष में नीतियां बनाने, लोगों को जागरूक करने और ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित किया जाता है l इस साल, दक्षिण कोरिया विश्व पर्यावरण दिवस की मेज़बानी कर रहा है l जेजू द्वीप, जो टिकाऊ विकास के लिए जाना जाता है, इस उत्सव का केंद्र बना, जेजू द्विप 2040 तक प्लास्टिक मुक्त बनने का लक्ष्य तय किया है। अगर हम विश्व पर्यावरण दिवस के इतिहास को जाने तो पहली बार इसे 5 जून 1972 को पहला पर्यावरण सम्मेलन मनाया गया जिसमें 119 देशों ने भाग लिया। पहला विश्व पर्यावरण सम्मेलन स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में मनाया गया था। इसी दिन यहां पर दुनिया का पहला पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसमें भारत की ओर से तात्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भाग लिया था। इस सम्मेलन के दौरान ही संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी नींव पड़ी थी। जिसके चलते हर साल विश्व पर्यावरण दिवस आयोजन का संकल्प लिया गया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा नागरिकों को पर्यावरण प्रदूषण से अवगत कराने तथा पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए 19 नवंबर 1986 पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया। 5 जून 1972 से लेकर 5 जून 2025 तक इस दिवस को 53 वर्ष हो गए हैं और उम्मीद है आगे भी यह दिवस ऐसे ही मनाया जाएगा। क्योंकि पर्यावरण में पेड़ पौधे, जीव जंतु आदि मुख्य भूमिका निभाते हैं इसलिए इस दिन नागरिकों के द्वारा पूरे विश्व में पेड़ पौधे लगाए जाते हैं तथा पेड़ पौधों को सुरक्षित रखने का आवाहन किया जाता है। कई बड़े-बड़े एनजीओ भी इसमें भागीदारी लेते हैं। वर्ष 1974 में पहली बार“केवल एक पृथ्वी” (“Only one Earth”) के नारे के साथ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था। पर्यावरण प्रदूषण, तापमान में वृद्धि, ग्लोबल वार्मिंग, वनों की कटाई आदि को दूर करने या रोक लगाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

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