



जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,
बेतिया/वाल्मीकिनगर:-आशा कार्यकर्ताओं को पिछले पांच माह से मानदेय नहीं मिलने से इनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पांच महीने से नहीं मिला मानदेय आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की तमाम योजना, अभियान, कार्यक्रमों को धरातल पर उतारने का काम आशा कार्यकर्ता ही कर रही हैं। फिर चाहे वह गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व और प्रसवोपरांत जांच, संस्थागत प्रसव, संचारी रोग नियंत्रण-दस्तक अभियान हो या फिर जननी सुरक्षा योजना, नियमित टीकाकरण, आयुष्मान भारत योजना। इन सभी के सफल क्रियान्वयन में आशा कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रहती है। जिसके लिए वह डोर-टू-डोर सर्वे करती हैं। पोलियो समेत बुखार, टीबी, कुष्ठ, एचआईवी, एडस रोगियों को तलाशने के लिए घर-घर जाकर सर्वे करती है। स्वास्थ्य विभाग इन आशाओं के माध्यम से बीमारियों के प्रति लोगों में जन जागरूकता लाने के लिए अभियान चलाने, गंभीर बीमार रोगियों को तलाशकर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने का काम करती है। इनका कहना है कि इतने काम के बावजूद मानदेय बहुत कम है। अगर शीघ्र भुगतान नही किया जाता है तो आशा आंदोलन पर उतरेंगी। स्वास्थ्य विभाग के टीकाकरण, जन्म-मृत्यु पंजीकरण सहित लगभग 81 महत्वपूर्ण कार्यों को आशा कार्यकर्ता लगातार करती आ रही हैं। बावजूद इसके पांच महीने से उनका मेहनताना नहीं दिया गया है, जिससे उन्हें गंभीर आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कार्यकर्ताएं बोलीं-घर चलाने में हो रही दिक्कत
बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ के संरक्षक देवेंद्र पांडे ने बताया कि मानदेय न मिलने से कार्यकर्ताओं को घर चलाने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि आयुष्मान कार्ड बनाने के निर्देश का विपरीत परिस्थितियों में भी अक्षरशः पालन किया गया है। आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे बिना किसी छुट्टी के साल भर काम करती हैं, फिर भी उन्हें मानदेय के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है। इस स्थिति से कार्यकर्ताओं में भारी रोष है और वे अपने परिवार का गुजारा कैसे करें, यह बड़ा सवाल है। हालांकि आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय सीएफएमएस के माध्यम से दिया जाना है। जब तक सीएफएमएस काम नही करता है तब तक अश्विनी पोर्टल से भुगतान किया जाए।










