




खुद को बढ़ती उम्र के साथ स्वीकारना एक तनावमुक्त जीवन देता है।हर उम्र एक अलग तरह की खूबसूरती लेकर आती है उसका आनंद लो।बाल रंगने हैं तो रंगिये, वज़न कम रखना है तो रखिये, मनचाहे कपड़े पहनने हैं तो पहनिए,बच्चों की तरह खिलखिलाइये, अच्छा सोचिये, अच्छा माहौल रखिये, शीशे में दिखते हुए अपनेअस्तित्व को स्वीकारिये। कोई भी क्रीम आपको गोरा नही बना सकता, कोई शैम्पू बाल झड़ने नही रोकता,कोई तेल बाल नही उगाता, कोई साबुन आपको बच्चों जैसी स्किन नही देता। चाहे वो PNG हो या पतंजलि..सब सामान बेचने के लिए सट्टे मारते हैं। ये सब कुदरती होता है।
उम्र बढ़ने पर त्वचा से लेकर बॉलों तक मे बदलाव आता है।
पुरानी मशीन को Maintain करके बढ़िया चला तो सकते हैं, पर उसे नई नही कर सकते। ना किसी टूथपेस्ट में नमक होता है ना किसी मे नीम। किसी क्रीम में केसर नही होती, क्योंकि 2 ग्राम केसर भी सौ रुपए से कम की नही होती ! कोई बात नही अगर आपकी नाक मोटी है तो,कोई बात नही आपकी आंखें छोटी हैं तो,कोई बात नही अगर आप गोरे नही हैं या आपके होंठों की shape perfect नही हैं, फिर भी हम सुंदर हैं, अपनी सुंदरता को पहचानिए। दूसरों से कमेंट या वाह वाही लूटने के लिए सुंदर दिखने से ज्यादा ज़रूरी है, अपनी सुंदरता को महसूस करना। हर बच्चा सुंदर इसलिये दिखता है कि वो छल कपट से परे मासूम होता है और बड़े होने पर जब हम छल व कपट से जीवन जीने लगते हैं तो वो मासूमियत खो देते हैं और उस सुंदरता को पैसे खर्च करके खरीदने का प्रयास करते हैं।मन की खूबसूरती पर ध्यान दो।पेट निकल गया तो कोई बात नही उसके लिए शर्माना ज़रूरी नही। आपका शरीर आपकी उम्र के साथ बदलता है तो वज़न भी उसी हिसाब से घटता बढ़ता है उसे समझिये।सारा इंटरनेट और सोशल मीडिया तरह तरह के उपदेशों से भरा रहता है। यह खाओ, वो मत खाओ
ठंडा खाओ, गर्म पीओ, कपाल भाती करो, सवेरे नीम्बू पीओ,रात को दूध पीओ,ज़ोर से सांस लो,लंबी सांस लो दाहिने से सोइये , बाएं से उठिए,हरी सब्जी खाओ, दाल में प्रोटीन है,दाल से क्रिएटिनिन बढ़ जायेगा। अगर पूरे एक दिन सारे उपदेशों को पढ़ने लगें तो पता चलेगा, ये ज़िन्दगी बेकार है ना कुछ खाने को बचेगा ना कुछ जीने को !! आप डिप्रेस्ड हो जायेंगे। ये सारा ऑर्गेनिक, एलोवेरा, करेला, मेथी, पतंजलि में फंसकर दिमाग का दही हो जाता है। स्वस्थ होना तो दूर स्ट्रेस हो जाता है। अरे! अपन मरने के लिये जन्म लेते हैं,कभी ना कभी तो मरना है अभी तक बाज़ार में अमृत बिकना शुरू नही हुआ।
हर चीज़ सही मात्रा में खाइये, हर वो चीज़ थोड़ी थोड़ी जो आपको अच्छी लगती है। भोजन का संबंध मन से होता है
और मन अच्छे भोजन से ही खुश रहता है..मन को मारकर खुश नही रहा जा सकता।थोड़ा बहुत शारीरिक कार्य करते रहिए,टहलने जाइये, लाइट कसरत करिये,व्यस्त रहिये, खुश रहिये। सकारात्मकता की शक्ति बनाए रखिए ,सुबह उठते ही पहली बात! कल्पना करें कि तुम बहुत प्रसन्न हो, बिस्तर से प्रसन्नचित्त ,आभामंडित, प्रफुल्लित, आशापूर्णा जैसे कुछ समग्र ,अनंत बहुमूल्य होने जा रहा हो ।कुछ ऐसे भाव से कि, आज का यह दिन सामान्य दिन नहीं होगा। आज कुछ अनूठा, कुछ अद्वितीय, तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है। वह तुम्हारे करीब है। ऐसा दिन भर बार-बार स्मरण रखने की कोशिश करें। सात दिनों के भीतर पाओगे ,की तुम्हारा पूरा ढंग, पूरी तरंगे बदल गई हैं ।जब रात को तुम सोते हो तो कल्पना करो कि तुम दिव्य के हाथों में जा रहे हो, जैसे अस्तित्व तुम्हें सहारा दे रहा हो ।तुम उसकी गोद में सोने जा रहे हो, बस एक बात पर निरंतर ध्यान रखना है की नींद के आने तक तुम्हें कल्पना करते जाना है, ताकि कल्पना नींद में प्रवेश कर जाए ।यह दोनों एक दूसरे में घुल मिल जाए ।किसी नकारात्मक बात की कल्पना मत करें, क्योंकि जिन व्यक्तियों में निषेधात्मक कल्पना करने की क्षमता होती है वह ऐसी कल्पना करते हैं। अगर तुम कल्पना करते हो कि तुम बीमार पढ़ोगे तो बीमार पड़ जाते हो, अगर तुम सोचते हो कि कोई तुमसे कठोरता से बात करेगा तो वह करेगा ही! तुम्हारी कल्पना उसे साकार कर देगी। जब भी कोई नकारात्मक विचार आए तो उसे एकदम सकारात्मक सोच में बदल दें। उसे नकार दें, छोड़ दें, फेंक दें। एक सप्ताह के भीतर अनुभव होने लगेगा कि तुम बिना किसी कारण के प्रसन्न रहने लगे हो– बिना किसी कारण के।