हरितालिका व्रत गर्भवती स्त्रियां, या शरीर में कोई विशेष दिक्कत वाली स्त्रियां, या अतिवृद्ध स्त्रियां, या ऑपरेशन वाली स्त्रियां निर्जला न रहें है :-पं०भरत उपाध्याय

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भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 6 सितम्बर, शुक्रवार को है। विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है- इस दिन महिलाएं निर्जल (बिना कुछ खाए-पिए) रहकर व्रत करती हैं। इस व्रत में बालूरेत से भगवान शंकर व माता पार्वती का मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाएं। एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं। प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें। देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें। व्रत का पूजन रात भर चलता है। महिलाएं जागरण करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है।


भगवती-उमा की पूजा के लिए ये मंत्र बोलें-
ॐ उमायै नम:, ॐ पार्वत्यै नम:, ॐ जगद्धात्र्यै नम:, ॐ जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ॐ शांतिरूपिण्यै नम:,ॐ शिवायै नम:
भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-
ॐ हराय नम:, ॐ महेश्वराय नम:, ॐ शम्भवे नम:, ॐ शूलपाणये नम:,ॐ पिनाकवृषे नम:, ॐ शिवाय नम:, ॐ पशुपतये नम:, ॐ

महादेवाय नम: पूजा दूसरे दिन सुबह समाप्त होती है, तब महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं।
गर्भवती स्त्रियां,याशरीर में कोई विशेष दिक्कत वालीं स्त्रियां, या अति वृद्ध स्त्रियां या आपरेशन वाली स्त्रियों के इसे निर्जला न करें। इसके लिए वे अपनी पति, मित्र, सहयोगी या आचार्य पंडित को संकल्प देकर उनसे नहाय खाय करा के व्रत कराएं और स्वयं पूजन कर कथा श्रवण कर नारियल पानी पी कर, फलाहार कर के फल मिठाई एवं फलाहार ग्रहण करें।* *किसी सुहागन बहन को ससुराल में कोई तकलीफ हो तो किसी भी शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें …उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें ..भोजन में दाल⁷ चावल सब्जी रोटी नहीं खाएं , दूध रोटी खा लें ..शुक्ल पक्ष की तृतीया को..अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है उसको ऐसा उपवास रखें …नमक बिना का भोजन(दूध रोटी) , एक बार खाएं बस……अगर किसी बहन से वो भी नहीं हो सकता पूरे साल का तो केवल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया, वैशाख शुक्ल तृतीया और भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया जरुर ऐसे 3 तृतीया का उपवास जरुर करें …नमक बिना करें ….जरुर लाभ होगा…

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