




मझौलिया /बेतिया से राजू शर्मा की रिपोर्ट
अटूट बंधन/रक्षाबंधन/स्पेशल। भाई-बहन के असीम प्रेम, स्नेह और अटूट विश्वास के प्रतीक पावन पर्व है रक्षाबंधन । यह पर्व हमें रिश्तों की पवित्रता, स्नेह की गरिमा और एक-दूसरे की रक्षा एवं सम्मान के संकल्प की याद दिलाता है। रिश्तों का यह पावन बंधन सदैव प्रेम और विश्वास की अनमोल डोर से जुड़ा रहे यही सब मंगलकामना करते है । धार्मिक दृष्टिकोण से राखी का महत्व तभी पूर्ण होता है जब बहन अपने हाथों से भाई की कलाई पर राखी बांधे और उसे तिलक कर आशीर्वाद दे। और भाई जीवनभर उसकी रक्षा करने का वचन देता है। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान के समान माना गया है।
शिष्य यदि अपने गुरु को राखी बांधता है तो वह यह संकेत देता है कि वह गुरु की रक्षा, सेवा और सम्मान का वचन देता है।बताते चले कि रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और यह हमें अपने रिश्तों की गहराई को समझने और एक-दूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की प्रेरणा देता है। वही पर्यावरण संरक्षण की भावना को बढ़ावा देने के लिए कई लोग वृक्षों को राखी बांधते हैं। यह संकल्प होता है कि हम पेड़ों की रक्षा करेंगे और पर्यावरण को सुरक्षित रखेंगे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रक्षाबंधन मनाने के पीछे कई कारण हैं।
एक कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की साड़ी खींचने से बचाया था, तब द्रौपदी ने उनकी कलाई पर अपनी साड़ी का एक टुकड़ा बांध दिया था। इसके बाद, भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को हर संकट से बचाने का वचन दिया था। गौरतलब हो कि यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती है। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।