गैंडे की चहल कदमी से ग्रामीणों में दहशत, चकदहवा क्षेत्र में विगत एक सप्ताह से कर रहा विचरण।

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जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर। वीटीआर की सीमा नेपाल से लगती है। दोनों देशों ने भले ही सीमा निर्धारित कर रखी हो । परन्तु वन्य जीवों के लिए कोई सीमा रेखा नहीं है। यही कारण है अक्सर नेपाली वन्य जीव वीटीआर में आ जाते हैं। वीटीआर में फिलहाल एक मेहमान गैंडा हैं। नेपाली गैंडा बाढ़ में बह कर वीटीआर के वन क्षेत्र में आया हैं। गैंडा के द्वारा धान, गन्ना की फसल को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।सीमावर्ती नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से भटके गैंडा को अब वीटीआर का आबो हवा रास आ रही है। थाना क्षेत्र के चकदहवा स्थित बिन टोली,कान्ही टोला और झंडू टोला के ग्रामीण इन दिनों गेंडे की चहलकदमी से परेशान हैं। चकदहवा निवासी गुलाब अंसारी ने बताया कि शाम ढलते ही जंगल से निकलकर गांव के सड़कों पर चहलकदमी करने लगता है। यह आदमी को देखते ही मारने के लिए दौड़ता है। बच्चे बूढ़ों पर ज्यादा खतरा मंडरा रहा है।बतादें की यह गांव संगठित रूप से एकत्रित जगह पर नहीं बसा हुआ है बल्कि गांव सड़क के दोनों किनारों पर बसा हुआ है। जिस वजह से यह गेंडा कभी भी किसी को नुकसान पहुंचा सकता है।वन सूत्रों की माने तो वन कर्मियों की एक टीम (गेंडा ट्रैकर)उनके पीछे लगाया गया है।लगातार उसकी गतिविधियों पर नज़र रखी जा रही है।ग्रामीणों को सतर्क रहने की जरूरत है। वहीं ग्रामीणों ने आगे बताया कि यह गैंडा पिछले बाढ़ के दरमियान इस गांव में पहुंचा है। यह क्षेत्र गैंडे के लिए अनुकूल है।

शिकारियों का मंडराया खतरा

वीटीआर के जंगल से सटे रिहायशी इलाकों के गन्ने व धान के खेतों में एक सप्ताह से अधिक समय से गैंडे की चहलकदमी देखी जा रही है। जहां एक तरफ किसानों को जान-माल की क्षति की चिंता सता रही है, तो वहीं वन विभाग के अधिकारियों को गैंडे पर खतरे की चिंता सता रही है।

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