शुद्ध भूमि में कुशा, मृगछाला और स्वच्छ वस्त्र के आसन पर किया गया योग श्रेष्ठ है -: पं० भरत उपाध्याय

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बगहा/मधुबनी। बगहा अनुमंडल अंतर्गत मधुबनी प्रखंड स्थित राजकीय कृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज के पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते हुए कहा कि, शुद्ध भूमि में ,जिसके ऊपर कुशा, मृगछाला और वस्त्र बिछा हो ,जो न बहुत ऊंचा हो और न बहुत नीचा ऐसे अपने आसन को स्थिर करके उस पर बैठकर इंद्रियों की क्रियाओं को वश में रखते हुए मन को एकाग्र करके अंतःकरण की शुद्धि के लिए योग का अभ्यास श्रेष्ठ माना गया है। कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग कोई भी साधन क्यों ना हो, उसमें मनुष्य का आहार बिहार साधन, क्रिया, सोना ,जगना सभी यथायोग्य और उचित होना चाहिए।

यह सब यथायोग्य होने पर ही योग सिद्ध होता है। प्राण वायु को बारंबार बाहर निकालना और रोकने के अभ्यास से भी चित्त निर्मल होकर एकाग्र हो जाता है। प्रधानाचार्य संतोष कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में कॉलेज के सभी शिक्षक कर्मचारी एवं बालक बालिकाओं ने उत्साह पूर्वक योगाभ्यास किया। साथ ही गंडक पार के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों में योग दिवस पर बच्चों को अभ्यास करते हुए देखा गया। इस अवसर पर विपिन बिहारी तिवारी,शंभू सिंह, चंद्रभूषण सिंह ,प्रभावती श्रीवास्तव सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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