अयोध्या पुरी की महिमा -पं० भरत उपाध्याय

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एक बार लक्ष्मण जी ने तीर्थ यात्रा जाने के लिए श्री राम जी से आज्ञा मांगी ! प्रभु राम ने यात्रा करने के लिए आज्ञा दे दी ! आज्ञा देने के बाद श्रीराम मुस्कुराने लगे ! लक्ष्मण जी ने जब प्रभु राम से मुस्कुराने की वजह पूछी तो राम ने कहा – समय आने पर खुद ही समझ जाओगे ! अगली सुबह लक्ष्मण जी ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के लिए सरयू नदी के किनारे पहुंचे ! वहां देखा कि हजारों पुरुष -स्त्री स्नान कर रहे थे और संध्या करके वापस आकाश मार्ग से जा रहे थे ! लक्ष्मण आश्चर्यचकित थे , वे हाथ जोड़ प्रणाम करते हुए बोले – भगवान आप कौन हैं ? उन्होंने कहा – हम काशी गया जगन्नाथ बद्रीनाथ केदारनाथ आदि 68 करोड़ तीरथ है जो मनुष्य का रूप लेकर यहां नित्य प्रतिदिन अयोध्या का दर्शन व सरयू जी का स्नान करने आते हैं ! इसके बाद लक्ष्मण जी महिलाओं के घाट पर गए और प्रणाम करके उनका परिचय पूछा तो वे बोली  हम गंगा यमुना सरस्वती नर्मदा आदि भारत की हजारों पवित्र नदियां नित्य प्रतिदिन अयोध्या पुरी के दर्शन व सरयू स्नान के लिए आती हैं .. लक्ष्मण जी तुरंत राम जी के मुस्कुराने की वजह समझ गए ! जिस अयोध्या पुरी के दर्शन के लिए सारे तीरथ आते हैं उसी अयोध्या को छोड़कर तीरथ जाने का क्या लाभ !!

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