




जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,
बेतिया/वाल्मीकिनगर। वाल्मीकिनगर में बढ़ते अवैध खनन के कारण वन्य जीवों की जान खतरे में है। वे अपना इलाका छोड़कर रिहायशी इलाकों में आने लगे हैं। वीटीआर से सटे कई इलाकों में अवैध खनन जारी है। जिसके चलते वीटीआर के वन्य जीवो पर खतरा मंडराने लगा है।
अवैध खनन से वन्यजीवों पर खतरा
वीटीआर से सटे इलाको में अवैध खनन बदस्तूर जारी है।अवैध खनन की जानकारी होने के बाद भी जिला और पुलिस प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। हालांकि वन विभाग कभी-कभार अवैध पत्थरों से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली जब्त कर लेता है और उनके खिलाफ कार्रवाई भी करता है। बावजूद इसके खनन माफियाओं का मनोबल बढ़ता ही जा रहा है, जिससे यहां के वन्यजीवों की जान खतरे में पड़ रही है।
टेरिटरी छोड़ बाहर जाने की कोशिश कर रहे है बाघ
बढ़ते अवैध खनन के कारण बाघों को मौज-मस्ती के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पा रही है। उनके प्राकृतिक आवास न केवल नष्ट हो रहे हैं बल्कि बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप के कारण वे वीटीआर से बाहर जाने की कोशिश कर रहे हैं।
बढ़ने लगा है मानवीय दखल
बढ़ते मानवीय दखल के कारण हिसंक वन्यजीव और इंसानों के बीच संघर्ष जैसी घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है। थाना क्षेत्र में गिट्टी बालू की डिमांड हमेशा बनी रहती है ,ऐसे में वीटीआर से सटे इलाको में अवैध पत्थर खनन का कारोबार भी धड़ल्ले से चलता है। बताते चलें कि वीटीआर की सीमा के जीरो मीटर से 9 किलोमीटर के अंदर उत्खनन संबंधी किसी भी तरह के कार्यों पर रोक है।
वन विभाग ने 11 जनवरी 2018 को अधिसूचना जारी कर वीटीआर को इको सेंसिटीव जोन घोषित कर दिया था। साथ ही इस जोन में किसी तरह के उत्खनन कार्य बंद कराने की बात कही गई, लेकिन इसके बावजूद खनन नहीं रुका है। इस बाबत वाल्मीकिनगर रेंजर श्रीनिवासन नवीन ने बताया कि अवैध खनन से वन्यजीवों का स्वछंद विचरण बाधित होने के साथ-साथ उसके सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ऐसे में यह काफी गंभीर मामला है। साथ ही पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा-19 का खुला उलंघन है।