




विवेक कुमार सिंह की रिपोर्ट..
बेतिया/वाल्मीकिनगर। झमाझम बारिश से लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिली है। दोपहर में शुरू हुई बारिश रुक रुककर देर शाम तक होती रही। इस बीच करीब 30 मिनिट की तेज बारिश ने मौसम में बदलाव ला दिया। जिसके बाद चली हवाओं ने वातावरण में ठंडक घोल दी। पिछले कुछ दिनों से उमस भरी गर्मी ने लोगों को बेहाल कर रखा था। बारिश के बाद अधिकतम तापमान में करीब 5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। मौसम तल्ख होते ही वीटीआर आने वाले पर्यटकों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है। वहीं, पारा चढ़ने से जलाशयों के इर्द-गिर्द वन्यजीवों की खूब साइटिंग हो रही है।
यहां देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी पर्यटक बाघों को देखने के लिए आते हैं।
पिछले कुछ दिनों से कम पर्यटक आ रहे हैं और इसके पीछे गर्मी सबसे बड़ी वजह है। हालांकि, जो पर्यटक यहां आ रहे हैं, उन्हें वन्यजीवों की अच्छी साइटिंग हो रही है।दरअसल, इस साल गर्मी के चलते मई माह से ही यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आई है। हालांकि शनिवार व रविवार को ही वीटीआर में पर्यटकों की भीड़ देखने को मिल रही है। इस बाबत वाल्मीकिनगर रेंजर श्रीनिवासन नवीन ने बताया कि वीटीआर में इस पर्यटन सीजन में हजारो की संख्या में पर्यटक टाइगर रिजर्व पहुंचकर सफारी का आनंद लेते हैं।
चार महीने बंद रहता है वीटीआर
बारिश का मौसम मध्य जून से शुरू होता है, जिसके चलते वीटीआर चार महीने के लिए पर्यटकों के लिए बंद रहता है। इसका कारण है कि बारिश के चलते रास्ते खराब हो जाते हैं और रास्तों के दुरुस्त होने के बाद अक्टूबर में फिर से पर्यटन सीजन की शुरुआत होती है। साथ ही शुरुआती पर्यटन सीजन में पर्यटकों की संख्या अच्छी रहती है। नए पर्यटन सत्र के शुरुआती महिनों में वीटीआर में पर्यटकों की बहार रही। लेकिन बाद में पर्यटकों की संख्या सामान्य पर आ गई। अब वीक एंड पर ही ऑनलाइन बुकिंग अधिक रहती है, जबकि शेष दिनों में पर्यटकों की संख्या कम रहती है। बारिश के कारण वीटीआर की धरा हरियाली से रंग गई है। जंगल, पहाड़ियां हरीतिमा से खिल उठी हैं। अभयारण्य की धरा हरी घास से शोभायमान हो गई है। जंगलों में लम्बे घने पेड़, ऊंची-नीची चट्टानें, झरने, तालाब, नदी, नालों के बीच बसी प्रकृति की अनोखी छंटा देखने को मिल रही है। हरे भरे घने वृक्षों के बीच पहाडिय़ां, पक्षियों के कलरव, दौड़ते हिरण, बहते नदी नाले अत्यंत मनोरम दृश्य उत्पन्न कर रहे हैं। बारिश होते ही जंगलों ने हरियाली की चादर ओढ़ ली है। वीटीआर में बाघ, तेन्दुआ, भालू, सांभर, हिरण, नीलगाय, लोमड़ी, चीतल, खरगोश, मोर, जंगली बिल्ली, अजगर जैसे जीव निवास करते हैं। वीटीआर के मध्य बने तालाब पानी से लबाबल भर गए हैं एवं नाले व झरने सुशोभित हो गए हैं।अगलगी के कारण झुलसे जंगल अब पूर्ण रूप से हरियाली में परिवर्तित होकर वन विभाग के अधिकारियों के अंदर खुशियां भर दी है। जंगल में आग लगने के कारण ग्रास लैंड सहित वन संपदा एवं छोटे-छोटे वन्यजीवों को काफी नुकसान पहुंचा था लेकिन जैसे ही झमाझम बारिश हुई वैसे ही वीटीआर ने हरियाली की चादर ओढ़ ली है।वर्तमान में वीटीआर और ग्रास लैंड की हरियाली देख वन विभाग के साथ-साथ वन्यजीव भी झूमने लगे हैं।