




विवेक कुमार सिंह की रिपोर्ट..
बेतिया/वाल्मीकिनगर:- भारतीय थारु कल्याण महासंघ का 41 वां महाधिवेशन बगहा दो प्रखंड के महुअवा कटहरवा पंचायत स्थित स्वत्रंतता सेनानी स्व दयाराम नगर कटहवा के बगीचा में राजपुर तपा के सौजन्य से दो दिवसीय आयोजन किया गया है। जिसमें चंपारण के छह तपा क्रमश: राजपुर, चौपारन, दोन, चेगवना, जम्हौली व रामगीर बारह तपा के साथ मधुबनी जिला, उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड व नेपाल के थारू शामिल हुए है। उत्तराखंड के नानकमाता विधानसभा के विधायक व भारतीय थारू कल्याण महासंघ के 41 वां महाधिवेशन के मुख्य अतिथि गोपाल सिंह राणा ने महाअधिवेशन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि
समाज को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा जरूरी है, लेकिन थारू बाहुल्य इलाके में अभी तक एक भी कॉलेज नहीं खुला है। वाल्मीकिनगर लोक सभा क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र है बावजूद इसके हमारे समाज से कोई विधायक या सांसद नहीं है। जबकि वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र में हमारी जनसंख्या अधिक है। ऐसे में यहां के थारू उसी पार्टी को वोट करे, जो हमारी हित की बात करें। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तराखंड से पहुंचे समाजसेवी रमेश चन्द्र राणा ने कहा कि मैं पूरे थारू समाज से अपील करते रहता हूं कि आप अपना मत चंद पैसों में मत बेचों। जब तक पूरे देश के थारू एकमत नहीं होंगे। तब-तक उनका विकास संभव नहीं है। अपने विकास के लिए थारूओं को सत्याग्रह भी करना पड़ सकता है।
जब नानकमाता विधानसभा से गोपाल सिंह राणा पहली बार विधायक बने तो वहां के लोग थारूओं को माओवादी बोलते थे। लेकिन हम लोगों ने वहां संगठित होकर लडाई लड़ी और हमारी विजय हुई। इसलिए चंपारण, यूपी, नेपाल के सभी थारू अपने एकता का परिचय दें और अपने समाज से विधायक व सांसद का चुनाव करें। महासम्मेलन को विशिष्ट अतिथि सह मूल आदिवासी जनजाति कल्याण संस्था भारत वर्ष के अध्यक्ष विजय बहादुर चौधरी , उत्तराखंड के थारू राणा परिषद के अध्यक्ष दान सिंह राणा, भारतीय थारू कल्याण महासंघ के अध्यक्ष दीपनारायण प्रसाद, संघ के महामंत्री शैलेन्द्र गढ़वाल, राजपुर तपा के अध्यक्ष महेश्वर काजी , उप महामंत्री डा शारदा प्रसाद, डा कृष्ण मोहन राय, अशोक कुमार के साथ अन्य थारू नेताओं ने संबोधित किया। मौके पर बड़ी संख्या में थारू समुदाय के महिला पुरुष उपस्थित रहे। सम्मेलन के पहले राजपुर तपा के अध्यक्ष महेश्वर काजी ने अपने समाज का झंडोत्तोलन किया । उसके बाद अपना झंडा गीत गया। उसके बाद थारू महिलाओं के द्वारा झमटा के साथ-साथ अन्य प्रकार के नृत्य किया गया। कार्यक्रम का संचालन दृगनारायण प्रसाद ने की।