




वाल्मीकि नगर से विवेक कुमार सिंह की रिपोर्ट..
वाल्मीकिनगर। किसी भी वन क्षेत्र में संरक्षण के लिहाज से प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध होता है। लेकिन कई बार देखा जाता है कि पर्यटन वाले इलाकों में सैर के दौरान पर्यटक कचरा छोड़ देते हैं। इसी को देखते हुए अब वीटीआर प्रशासन ने पर्यटन क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त बनाने की कवायद शुरू कर दी है। जंगल में प्लास्टिक ले जाने वाले पर्यटकों से सिक्योरिटी डिपोजिट कराया जा रहा है। इन दिनो वीटीआर में बाघों का दीदार करने वाले पर्यटकों के बीच टाइगर सफारी की होड़ मची हुई है। रोजाना दर्जनो सैलानी वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पहुंच कर जंगल की सैर का लुत्फ उठा रहे हैं। दो घंटे तक चलने वाली इस सैर के दौरान पर्यटक पानी की बोतल और चिप्स इत्यादि को साथ में ले जाते हैं। कई बार देखने को मिलता है कि पर्यटक इन प्लास्टिक वेस्ट को जंगल में ही फेंक देते हैं। जिसके चलते जंगल की इकोलॉजी पर काफी अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं। ऐसे तो कचरे को जंगल में न फेकने के लिए सफारी गाइड व वन विभाग की ओर से पर्यटकों को समय समय पर जागरूक किया जाता है। लेकिन जागरूकता का कोई ख़ास असर पर्यटकों पर पड़ता नहीं दिखाई देता है। अब जंगल सफारी के दौरान पर्यटको को प्लास्टिक की बोतल में पानी ले जाने के लिए प्रवेश द्वार पर सिक्योरिटी डिपोजिट करना होगा। अगर पर्यटक बोतल का पानी या प्लास्टिक का सामान ले जाना चाहता है तो उसकी जानकारी प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों को देनी होगी। फिर वनकर्मी प्रति पानी की बोतल पर जमानत के तौर पर 20रूपये पहले ही जमा कराकर उन्हे एक टोकन देगें। और जंगल सफारी से लौटने के पश्चात टोकन वापस करने पर 20 रुपये बापस कर दिए जाएंगे। इस बाबत वाल्मीकिनगर रेंजर श्रीनिवासन नवीन ने बताया कि वरीय अधिकारियो के दिशा निर्देश पर नियमों की जानकारी वाले साइन बोर्ड लगाए गए हैं।
गाइड व चालक भी रखेंगे नजर
नियमों की सख्ती से पालन कराने के लिए वीटीआर के नेचर गाइड और सफारी चालकों को भी नियमों की जानकारी देकर पालना सुनिश्चित की जाएगी। नेचर गाइड व चालक को कोई भी पर्यटक प्लास्टिक फेंकता हुआ मिलता है तो वो उसे डस्टबिन में डलवाएंगे और नियम की जानकारी देंगे।
500 रूपए तक जुर्माना
यदि कोई पर्यटक नियमों की जानकारी के बावजूद वीटीआर में प्लास्टिक फेंकता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी। अधिनियम के तहत पांच सौ रुपए जुर्माना का प्रावधान है।